शोधकर्ताओं का दावा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) तकनीक वाला यह डिवाइस 1,000 लोगों पर किए गए प्रयोग में 90-95त्न सटीक पाया गया। सबसे पहले मरीज की आंखों की पुतली और झिल्लियों की तस्वीर ली जाती है। डिवाइस का एआइ सिस्टम तस्वीर का विश्लेषण कर शुगर का स्तर बताता है। शोध में शामिल डॉ. हामिद अशरफ ने कहा, हालांकि शुगर जांचने के लिए मशीनें पहले से बाजार में हैं, लेकिन उनकी रिपोर्ट की शुद्धता पर संदेह रहता है।
एक मिनट में ज्यादा प्रभावी जांच रिपोर्ट शोधकर्ताओं का कहना है कि लैब टेस्ट के मुकाबले डिवाइस की जांच ज्यादा प्रभावी और तेज है। पारंपरिक लैब टेस्ट में 10-15 मिनट का समय लगता है। इस डिवाइस से एक मिनट में रिपोर्ट मिल जाती है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि डिवाइस कब तक बाजार में आएगा।
धन-समय की बचत डिवाइस एएमयू के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हामिद अशरफ और डॉ. नदीम अख्तर ने विकसित की है। इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया जाएगा। उनका कहना है कि नई तकनीक से शुगर की जांच न सिर्फ आसान होगी, बल्कि समय और पैसे की बचत होगी। शोध के लिए दोनों को हाल ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह सम्मानित कर चुके हैं।