धनखड़ ने उनके खिलाफ इंडिया ब्लॉक की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर पहली बार टिप्पणी की। उन्होंने उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में महिला पत्रकार वेलफेयर ट्रस्ट के एक कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि किसी भी संवैधानिक पद को प्रतिष्ठा, उच्च आदर्शों और संवैधानिकता से पुष्ट किया जाना चाहिए। हम यहां हिसाब बराबर करने के लिए नहीं हैं। राज्यसभा में लोकसभा के वर्तमान विपक्ष के नेता राहुल गांधी का मामला उठाने पर धनखड़ ने कहा कि सदन के नेता पीयूष गोयल ने यह मुद्दा उठाया, जिसे मैंने तय किया। अगर इसमें कुछ गलत है, तो मुझे मार्गदर्शन मिलने में खुशी होगी। उन्होंने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई। लेकिन वे यह पचा नहीं पाए कि अध्यक्ष ने ऐसा फैसला कैसे किया? धनखड़ ने कहा कि यदि अभिव्यक्ति को सीमित, बाधित या दबाव में किया जाए, तो लोकतांत्रिक मूल्य दोषपूर्ण हो जाते हैं। यह लोकतंत्र के विकास के लिए प्रतिकूल है। अपनी आवाज का उपयोग करने से पहले, अपने कानों को दूसरे के दृष्टिकोण को सुनने दें। इन दोनों तत्वों के बिना, लोकतंत्र को न तो पोषित किया जा सकता है और न ही इसे फलने-फूलने दिया जा सकता है।
गलत कारणों से समाचार में
धनखड़ ने कहा कि क्या पिछले 10, 20, 30 वर्षों में किसी महान बहस को देखा है? क्या संसद के पटल पर कोई बड़ी उपलब्धि देखी है? हम गलत कारणों से समाचार में हैं। मीडिया से दबाव आना चाहिए। जवाबदेही मीडिया जनता के साथ एक रिश्ता बना सकता है और जन प्रतिनिधियों पर दबाव पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा, पत्रकारिता एक कठिन कार्य है। पत्रकारिता के मूल्यों को बनाए रखने के लिए, अनुसंधानात्मक पत्रकारिता करने के लिए और उन क्षेत्रों में देखने के लिए जहां सरकार आपको देखने नहीं देना चाहती, एक वेलफेयर ट्रस्ट और एक मजबूत कानूनी निकाय आवश्यक है जो आपके हितों की रक्षा करे। उन्होंने कहा कि महिला पत्रकार अद्वितीय दृष्टिकोण लाती हैं, और उनकी संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है। यह समय की बात है जब यह क्षेत्र महिलाओं का प्रभुत्व होगा। इनके लिए चुनौतियां ही अवसर हैं।