केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कभी कहा जाता था कि देश के संसाधनों पर किसी एक संप्रदाय विशेष का अधिकार। वे जानते थे कि वे अधिकार देने वाले नहीं है, लेकिन वे कहते जरूर थे। इस राजनीतिक तुष्टीकरण के छल को समावेशी सशक्तिकरण के बल से मोदी सरकार ने ध्वस्त किया है। देश के संसाधनों पर सबसे पहला अधिकार अब आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति का है।
नकवी ने कहा कि देश में एक और बदलाव हुआ है। वह यह है कि जो दंगा का हफ्ता और आतंकवादी धमाकों का महीना होता था, उस पर रोक लगी है। भागलपुर से भिवंडी तक, गुवाहाटी से वाराणसी तक चले जाइए, देश के किसी ने किसी हिस्से में दंगा, फसाद, बेगुनाहों का कत्लेआम होता रहता था और देश इन दंगों की आग से बेचैन रहता था। देश का कोई हिस्सा नहीं होता था, जहां आतंकवादी धमाके न होते हों। कभी दिल्ली के लाजपत नगर में धमाके हुआ करते थे, कभी मुंबई औयर गुवाहाटी में तो कभी हैदराबाद में। नरेंद्र मोदी के आने के बाद उन्होंने संकल्प लिया-
जो जिंदा हो, तो जिंदा आना भी जरूरी है”
पहले पीएमओ कहीं और से चलता था
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि आज से आठ साल पहले क्या स्थिति थी- प्रधानमंत्री कार्यालय कहीं और से चलता था, प्रधानमंत्री को निर्देश कहीं और से मिलता था और यही नहीं, कैबिनेट जो डिसीजन लेती थी, उसे नॉनसेंस कहकर फाड़ दिया जाता था। आज जो बदलाव हुआ है, उसमें इस देश में कोई मजबूर प्रधानमंत्री नहीं है, बल्कि मजबूत प्रधानमंत्री है। 2014 के बाद जो सबसे बड़ा बदलाव इस देश ने महसूस किया- वह इस लोकतंत्र में, प्रधानमंत्री पद की गरिमा, क्रेडिबिलिटी और सम्मान का बहाल होना होना है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक और महत्वपूर्ण परिवर्तन है। हम सब दिल्ली में सुनते थे कि साहब, दिल्ली में यह नेशनल लाइजनिंग ऑफिस है, यह इंटरनेशनल लाइजनिंग ऑफिस है। किसी भी सरकार का कोई काम आपको कराना हो, तो उस इंटरनेशनल लाइजनिंग ऑफिस से करा सकते हैं। आज दिल्ली के सत्ता के गलियारे से, सत्ता के दलालों की नाकेबंदी और लूटबाजी पर तालेबंदी की गई है।