मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सेना और असैन्य अधिकारियों के साथ शुक्रवार को आपदा स्थल का दौरा किया। मुख्यमंत्री ने मरने वालों के परिवार को पांच-पांच लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है।
अधिकारियों के अनुसार मरने वालों की संख्या बढ़ने की संभावना है क्योंकि कई लोग अभी भी लापता हैं और तलाशी अभियान जारी है। कुछ नागरिकों के भी मलबे में दबे होने की आशंका है। घायलों का इलाज नोनी आर्मी मेडिकल यूनिट में किया जा रहा है। गुरुवार सुबह सेना, असम राइफल्स, मणिपुर पुलिस की ओर से बड़े पैमान पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। जिसमें साइट पर उपलब्ध इंजीनियरिंग उपकरणों का भी उपयोग किया जा रहा है।
एक अधिकारी का कहना है कि खराब मौसम की वजह से रेस्क्यू मिशन में बाधाएं आ रही हैं, काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि लापता लोगों को बचाने के लिए ठोस प्रयास किया जा रहा है। सेना के हेलिकॉप्टर भी मौके पर पहुंच चुके हैं। भूस्खलन के वजह से इजाई नदी का प्रवाह प्रभावित हुआ है। यह नदी तामेंगलोंग और नोनी जिलों से होकर बहती है। जिला प्रशासन आस-पास के ग्रामीणों को सावधानी बरतने और जल्द से जल्द जगह खाली करने की एडवाइजरी जारी की है।
एडवाइजरी में कहा गया है कि मलबे की वजह से इजाई नदी ब्लॉक हो गई है, जिससे एक ही जगह पर जल भराव के कारण बांध जैसी स्थिति बन गई है। अगर यह टुटता है तो निचले इलाकों में और ज्यादा तबाही मचने की आशंका है। मौसम की तबाही को देखते हुए मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने आपात बैठक बुलाई है। तो वही मौके पर घायलों के ईलाज के लिए डॉक्टरों की टीम को भेजा गया है। बताया जा रहा है कि जिरीबाम को इंफाल से जोड़ने के लिए एक रेलवे लाइन का निर्माण हो रहा था जिसकी सुरक्षा के लिए 107 टेरिटोरियल आर्मी के जवानों को तैनात किया गया था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटना पर जानकारी देते हुए लिखा, “मणिपुर में तुपुल रेलवे स्टेशन के पास भूस्खलन के मद्देनजर मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव से बात की। बचाव कार्य जोरों पर है। एनडीआरएफ की एक टीम मौके पर पहुंच गई और बचाव कार्यों में शामिल हो गई। 2 और टीमें तुपुल के रास्ते में हैं।”
वहीं असम और मणिपुर समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों में लगातार बारिश कहर बनकर सामने आ रही है। इससे क्षेत्र का जन जीवन प्रभावित हो रहा है तो वही बाढ़ के हालात बने हुए हैं। असम में 10 दिनों में अब तक करीब 135 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के 32 जिलों के 5424 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। लाखों लोग प्रभावित हैं। उन्हें अपना घर छोड़कर राहत शिविरों में या फिर हाईवे पर टेंट लगाकर भूखे-प्यासे रहना पड़ रहा है।