पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी से लुढ़का पारा
मौसम विभाग का कहना है कि पहाड़ी इलाकों में हो रही बर्फबारी का असर
राजधानी दिल्ली में देखने को मिल रहा है। दस दिसंबर के बाद से पारा लगातार लुढ़क रहा है और आने वाले दिनों में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री तक पहुंच सकता है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो दिल्ली में गुरुवार को पिछले तीन सालों में सबसे ठंडा दिसंबर का दिन रहा। सुबह के वक्त हल्की कोहरे की चादर और ठंडी हवाओं से बचाव करने के लिए लोग अलाव का सहारा लेते दिखे।
दिल्ली के पूसा में सबसे नीचे गया पारा, शीतलहर का दिखा असर
नई दिल्ली स्थित क्षेत्रीय
मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, गुरुवार( 12 दिसंबर) को दिल्ली के पूसा में न्यूनतम तापमान 3.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। कई इलाकों में शीत लहर की भी स्थिति देखी गई। मौसम विभाग के अनुसा दिल्ली-एनसीआर में गुरुवार को न्यूनतम तापमान 6 डिग्री और अधिकतम तापमान 21 डिग्री दर्ज किया गया है। मौसम विभाग ने 14 दिसंबर से दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे के साथ-साथ कड़ाके की ठंड की संभावना भी जताई है। 12 दिसंबर को दिल्ली का न्यूनतम तापमान 4.5 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 22.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
आईएमडी ने एक सप्ताह के मौसम की स्थिति बताई
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक आने वाले हफ्तों में उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में शीत लहर की स्थिति बनी रहेगी। विभाग ने दिल्ली और आसपास के इलाकों के लिए अलर्ट जारी किया है। विभाग के मुताबिक आने वाले आज राष्ट्रीय राजधानी में शीतलहर चलेगी, जिसकी वजह से पारा लुढ़केगा और ठंड बढ़ेगी। मौसम विभाग ने शीतलहर को देखते हुए लोगों को सतर्क रहने के भी निर्देश दिए हैं।
आज दिल्ली में कैसा रहेगा मौसम का हाल
आईएमडी के मुताबिक 14 दिसंबर को दिल्ली में न्यूनतम तापमान 6 डिग्री और अधिकतम तापमान 21 डिग्री दर्ज किया जाएगा। इस दौरान कोहरा भी लगा रहेगा। 15 दिसंबर को न्यूनतम तापमान 6 डिग्री और अधिकतम तापमान 20 डिग्री दर्ज किया जाएगा। वहीं, 18 और 19 दिसंबर को न्यूनतम तापमान 6 डिग्री और अधिकतम तापमान 20 डिग्री दर्ज होने की संभावना जताई गई है। जहां एक तरफ दिल्ली में शीतलहर की शुरुआत हुई है वहीं दूसरी तरफ वायु गुणवत्ता में खास सुधार देखने को नहीं मिल रहा है।
दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में ये रहा एक्यूआई
वेस्ट दिल्ली में एक्यूआई 308, शादीपुर में 202, पंजाबी बाग में 268, नॉर्थ कैंपस में 259, मुंडका में 301, वजीरपुर में 294, अशोक विहार में 289, द्वारका सेक्टर-8 में 313, रोहिणी में 316, आरके पुरम में 295, चांदनी चौक में 175, लोधी रोड में 173, बुरारी में 265, सोनिया विहार में 293 एक्यूआई दर्ज किया गया है। इन फसलों पर शीतलहर का पड़ेगा बुरा असर
बदलते मौसम को देखते हुए कृषि वैज्ञानिक भी अलर्ट हो गए हैं। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएन पांडेय का कहना है कि शीतलहर की वजह से होने वाले नुकसान से बचने के लिए किसान को कुछ उपाय करने की जरूरत होती है। पाले के प्रभाव से फसल में पौधों की पत्तियां और फूल झुलस कर झड़कर सिकुड़ जाते हैं। पाला पड़ने पर थायो यूरिया 500 पीपीएम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। वहीं 15-15 दिनों के अंतर से दोहराते रहना चाहिए।
पौधशालाओं में अपनाए जा सकते हैं ये तरीके
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. पांडेय के अनुसार, पौधशालाओं के पौधों और सीमित क्षेत्र वाले उद्यानों-नकदी सब्जी वाली फसलों में भूमि के ताप को कम नहीं होने देना चाहिए। इसके लिए शीतलहर या पाला पड़ने के दौरान फसलों को टाट, पॉलीथिन या भूसे से ढक देना चाहिए। इसके साथ ही हवा आने वाली दिशा की तरफ वायुरोधी कपड़ा या टाट (बोरी) बांधनी चाहिए। वहीं दीर्घकालीन उपाय के लिए खेत के उत्तरी पश्चिमी मेडों पर बीच-बीच में उचित दूरी पर हवा को रोकने वाले पेड़ लगाने चाहिए। इनमें शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी, अरडू आदि शामिल हैं। इससे पाले और ठंड़ी हाव के झोंको से फसल का बचाव होता है।
फसलों में हल्की सिंचाई भी होती है कारगर
डॉ. पांडेय के अनुसार, नमीयुक्त जमीन में काफी देर तक गर्मी रहती है। ऐसे में जब पाला पड़ने की सम्भावना हो तो फसलों में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। इससे तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को ज्यादा नुकसान नहीं होगा। इसके साथ ही पाला पड़ने की सम्भावना वाले दिनों में फसलों पर घुलनशील गंधक 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। इसमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे। इस छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। अगर इसके बाद भी पाला पड़ने की सम्भावना हो तो थायो यूरिया 500 पीपीएम (आधा ग्राम) प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए या छिड़काव को 15-15 दिनों के अंतर से दोहराते रहना चाहिए। इन फसलों के लिए फायदेमंद है गंधक
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएन पांडेय ने बताया कि गंधक का छिड़काव सरसों, गेहूं, चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाता है। इसके साथ ही पौधों में लोहा तत्व की जैविक और रासायनिक सक्रियता को बढ़ा देता है। इससे पौधों की रोग रोधक क्षमता बढ़ाने और फसल को जल्दी पकने में मदद मिलती है। इसके साथ ही किसानों को अपने जानवरों का भी ध्यान रखना चाहिए।