scriptInnovation: 20 किमी की ऊंचाई से एयरशिप भेजेगा वेदर फोरकास्टिंग, मिसाइल वार्निंग के सिग्नल, IIT Delhi में डॉ शिखा चौहान ने किया विकसित | iit delhi researcher develops airship will helpful for defense work | Patrika News
नई दिल्ली

Innovation: 20 किमी की ऊंचाई से एयरशिप भेजेगा वेदर फोरकास्टिंग, मिसाइल वार्निंग के सिग्नल, IIT Delhi में डॉ शिखा चौहान ने किया विकसित

आईआईटी (IIT) दिल्ली के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जो सेटेलाइट की तरह ही काम करने में सक्षम है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह तकनीक डिफेंस के विभिन्न कार्यों में उपयोगी है। साथ ही इससे वेदर फोरकास्टिंग के लिए भी सिग्नल मिलेंगे। आईआईटी दिल्ली की प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ शिखा चौहान ने एयरशिप विकसित किया है, जो 20 किलोमीटर तक की ऊंचाई तक पहुंकर अंतरिक्ष से सर्विलांस करते हुए सिग्नल भेज सकता है। डॉ शिखा के इस प्रोजेक्ट को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) स्पॉन्सर किया गया है।

नई दिल्लीDec 11, 2022 / 09:46 pm

Rahul Manav

IIT Delhi: 20 किमी की ऊंचाई से एयरशिप भेजेगा वेदर फोरकास्टिंग, मिसाइल वार्निंग के सिग्नल, आईआईटी दिल्ली के रिसर्चर ने किया विकसित

आईआईटी (IIT) दिल्ली की प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ शिखा चौहान ने सेटेलाइट से कम लागत पर 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचकर अंतरिक्ष से सिग्नल भेजने वाली टेक्नोलॉजी की है विकसित। उन्होंने एयरशिप विकसित किया है। जिसके उपयोग से सर्विलांस, मिसाइल वार्निंग के सिग्नल भेजेे जा सकते हैं।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) दिल्ली की प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ शिखा चौहान ने एयरशिप विकसित किया है। उन्होंने इसका नाम हाई परफॉर्मेंस लेमिनेटेड फैब्रिक फॉर स्ट्रेसटोसफेयरिक एयरशिप (HPLFSA) दिया है। उन्होंने बताया कि यह एक तरह से एयरक्राफ्ट है, जो किसी सेटेलाइट की तरह ही काम करने में सक्षम है। यह सेटेलाइट की तुलना में बहुत ही कम लागत की टेक्नोलॉजी है। जिसके उपयोग से 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर अंतरिक्ष में पहुंचकर वेवलेंथ के जरिए सिग्नल भेजे जा सकते हैं। एयरशिप में कैमरा भी फिट किया गया है। एयरशिप का इस्तेमाल सर्विलांस, मिसाइल वार्निंग व गाइडेंस, ब्रॉडबैंड व टेलीकॉम्युनिकेशन, वेदर फोरकास्टिंग जैसे महत्वपूर्ण कामों में कर सकते हैं। एयरशिप में फिट गए कैमरे की सहायता से दुश्मन द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में किसी भी तरह की गतिविधियों के होने पर भी तस्वीर के साथ सिग्नल भेजे जा सकते हैं। यह टेक्नोलॉजी सेटेलाइट की तरह ही जमीन पर मौजूद कंप्यूटर सिस्टम से कंट्रोल की जा सकती है। डॉ शिखा द्वारा अपनी इस इनोवेशन को आईआईटी दिल्ली के इंडस्ट्री डे पर प्रदर्शित किया गया।
वर्ष 2023 तक डीआरडीओ को सौंपने की है तैयारी

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) इंडस्ट्री अकादमिया (DIA) सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (COE) आईआईटी दिल्ली और आईआईटी दिल्ली के टेक्सटाइल एंड फाइबर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की तरफ से इस प्रोजेक्ट पर काम किया गया है। इस प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर बी एस बटोला और को-प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो मंगला जोशी हैं। वहीं, आईआईटी दिल्ली के रिसर्च एंड इनोवेशन पार्क के डीआईए सीईई के डायरेक्टर एम एच रहमान की अगुवाई में भी इस प्रोजेक्ट पर काम हुआ है। डॉ शिखा चौहान ने बताया कि इस टेक्नोलॉजी का पेटेंट फाइल कर दिया गया है। 2023 तक इसे डीआरडीओ को सौंपने की तैयारी है। डीआरडीओ की तरफ से इस प्रोजेक्ट को स्पॉन्सर किया गया है। वर्ष 2017 से इस प्रोजेक्ट पर डॉ शिखा चौहान काम कर रही हैं। उनके साथ प्रो बी एस बटोला और प्रो मंगला जोशी भी प्रोजेक्ट पर पांच वर्षों से काम कर रहे हैं। प्रो बटोला और प्रो जोशी ऐरोस्टेट टेक्नोलॉजी पर 10 वर्षों से काम कर रहे हैं।
डिफेंस क्षेत्र में काम करने की थी डॉ शिखा की इच्छा

डॉ शिखा चौहान ने मध्य प्रदेश के जबलपुर के गवर्नमेंट मॉडल साइंस कॉलेज से मिलिट्री साइंस में बैचलर डिग्री प्राप्त की है। इसके बाद उन्होंने फिजिक्स में पीजी की और मटेरियल साइंस में पीएचडी इसी कॉलेज से पढ़ाई पूरी की। पीएचडी के बाद आईआईटी बॉम्बे से डॉ शिखा ने वर्ष 2017 से 2018 के दौरान मटेरियल साइंस में पोस्ट डॉक्टोरल की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वर्ष 2018 से डॉ शिखा आईआईटी दिल्ली में बतौर प्रिंसिपल साइंटिस्ट काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि वह शुरुआत से ही डिफेंस के क्षेत्र के लिए कुछ खास करना चाहती थीं। अब उन्हें खुशी है कि उन्होंने देश के लिए ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित की है जो सेटेलाइट की तुलना में काफी लो कॉस्ट इफेक्टिव टेक्नोलॉजी है।

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