सरकार ने दो अधिसूचनाएं जारी की थी
आपको बता दें कि दिल्ली सरकार ने दो अधिसूचनाएं जारी की थी जिसमें एक में न्यूनतम वेतन सलाहकार समिति बनाने की बात कही गई थी। जबकि दूसरे में न्यूनतम वेतन संबंधि निर्देश दिए गए थे। बता दें कि अधिसूचना में कहा गया था कि अकुशल कर्मचारी के लिए 13,500, अर्ध कुशल के 14,698 और कुशल कर्मचारी के लिए 16182 रुपये प्रति माह न्यूनतम वेतन होंगे। जब सरकार ने इस तरह की अधिसूचना जारी की तब विभिन्न औद्योगिक इकाइयों की तरफ से अलग-अलग याचिकाएं हाई कोर्ट में दायर की गई थीं। औद्योगिक इकाइयों ने आरोप लगाया था कि सरकार ने न्यूनतम वेतन तय करने से पहले उनका पक्ष नहीं सुना।
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केजरीवाल ने किया ट्वीट
आपको बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद सीएम केजरीवाल ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि गरीब मजदूरों का वेतन बढ़ाकर सरकार ने बड़ी राहत दी थी। लेकिन अब कोर्ट के आदेश के बाद आगे की रणनीति तय करेंगे। आगे लिखा कि हम गरीबों को राहत दिलवाने के लिए प्रतिबध हैं। बता दें कि श्रम मंत्री गोपाल राय ने कहा कि यह जंग आगे भी जारी रहेगी। रविवार को गोपाल रायच ने कहा कि दिल्ली सरकार हाईकोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है। उन्होंने कहा की करीब डेढ़ वर्ष तक यह सुनवाई चली और फिर कई महीनों तक फैसला सुरक्षित रहा। लेकिन अब जब फैसला आया है उससे काफी निराशा हुई है। राय ने कहा कि दिल्ली सरकार गरीबों को सम्मान जनक जीवव देने के लिए प्रतिबद्ध है। बता दें कि गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार हाईकोर्ट के फैसले का अध्ययन करेगी और फिर यह निर्णय लेगी के दिल्ली में सभी वर्गो के लिए संशोधित न्यूनतम वेतन कैसे लागू किया जाएगा। राय ने कहा कि इस संबंध में सोमवार को श्रम विभाग के साथ बैठक की जाएगी और आगे की योजना तथा कानूनी विकल्पों पर विचार किया जाएगा।
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श्रमिकों पर भारी वित्तीय दबाव पड़ेगा: केजरीवाल
बता दें कि न्यूनतम मजदूरी पर दिल्ली सरकार की अधिसूचना दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा रद्द किए जाने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि इस फैसले से श्रमिकों पर भारी वित्तीय दबाव पड़ेगा। केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा, “दिल्ली में बड़ी संख्या में दैनिक मजदूरी करने वालों की प्रति माह आय 9,500 रुपये से बढ़कर 13,500 रुपये हो गई थी। उच्च न्यायलय के फैसले के बाद अचानक उनकी मजदूरी कम हो जाएगी। उनपर भारी वित्तीय दबाव पड़ेगा। यह फैसला उनके लिए एक बड़ा झटका है।” मुख्यमंत्री ने दावा किया कि कुछ नियोक्ता उच्च न्यायालय के फैसले के कारण श्रमिकों से मजदूरी को वसूलने की योजना बना रहे हैं, जो उन्होंने पिछले साल चुकाई थी। केजरीवाल ने कहा, “अगर यह शुरू होता है तो इससे गरीबों की परेशानियां और बढ़ जाएंगी।”