scriptकोठारी की पत्रकारिता अनेक खंडों का ग्रंथ-प्रोफेसर शास्त्री | Gulab kothari served ancient literature and journalism: Prof. Shashtri | Patrika News
नई दिल्ली

कोठारी की पत्रकारिता अनेक खंडों का ग्रंथ-प्रोफेसर शास्त्री

शास्त्री ने समापन सत्र में अपने अध्यक्षीय
संबोधन में कोठारी का अभिनंदन करते हुए कहा जीवन का कोई भी ऐसा क्षेत्र
नहीं है, जो आपकी नजरों से ओझल रहा हो

नई दिल्लीFeb 19, 2016 / 09:31 am

Rakesh Mishra

SatyaVrat Shastri

SatyaVrat Shastri

नई दिल्ली। प्रोफेसर गुलाब कोठारी अभिनंदन समिति के अध्यक्ष एवं पद्म पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर सत्यव्रत शास्त्री ने समापन सत्र में अपने अध्यक्षीय संबोधन में कोठारी का अभिनंदन करते हुए कहा जीवन का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जो आपकी नजरों से ओझल रहा हो, जिस पर आपकी लेखनी न चली हो। आपने काव्य रचना की समीक्षा की, वेद के रहस्यों का उद्घाटन भी किया, आपने पत्रकारिता में जो लिखा उसे संकलित कर प्रकाशित किया जाए तो अनेक खंडों के अनेक ग्रंथ बनेंगे। आपकी लेखनी बड़ी सशक्त है। इससे आपने समाज को नई दिशा देने के साथ नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक का काम किया है। प्रोफेसर कोठारी का काम नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक का रहेगा। प्रोफेसर कोठारी वेदों की व्याख्या करते समय पुराणों और इतिहास का उपयोग करते हैं।

वहीं, प्रोफेसर कोठारी से अपने संबंधों का जिक्र करते हुए प्रोफेसर शास्त्री ने कहा कि बहुत समय नहीं हुआ जब कोठारी से परिचय हुआ था। वह परिचय कुछ ही क्षणों में अमिट संबंधों में परिणित हो गया। उनका चुंबकीय व्यक्तिव अपनी ओर आकर्षित करता गया। और न जाने कब वे ‘भाई साहब’ बन गए। और फिर ऐसा प्रसंग आया जिसने उनके कृतित्व को निकट से जानने और समझने का मुझे अवसर प्रदान किया। एक के बाद एक उनकी कृतियों का मैं अध्ययन करता गया और चमत्कृत हो गया। कहीं कविता, कहीं समीक्षा, कहीं व्याख्या कहीं मौलिक उद्भावना। कोठारी का विराट कृतित्व मेरे सामने था। अनके ग्रंथ कहने को तो थे एक, पर खंड थे उनके अनेक। प्रत्येक खंड में गहन चिंतन। मुझे लगा उनके कृतित्व को समग्रता से अध्ययन की आवश्यकता है। और वहीं से जन्म हुआ वर्तमान सम्मेलन आयोजित करने के विचार का।

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