इस बड़े रैकेट के खुलासे के बाद पुलिस ने देश की राजधानी में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की पहचान के लिए खास ऑपरेशन भी शुरू कर दिया है। डीसीपी साउथ अंकित चौहान ने बताया “दिल्ली के संगम विहार और रोहिणी इलाके में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी पकड़े गए हैं। पुलिस को आरोपियों के पास से 6 लैपटॉप, 6 मोबाइल फोन, आधार कार्ड मशीन, रिकॉर्ड रजिस्टर और विभिन्न दस्तावेज, 25 आधार कार्ड, 4 मतदाता पहचान पत्र और 8 पैन कार्ड मिले हैं। पुलिस को शक है कि यह सभी दस्तावेज बांग्लादेशी नागरिकों के हैं।”
शिंटू शेख की हत्या के बाद शुरू हुई थी जांच
डीसीपी साउथ अंकित चौहान ने बताया कि 20 अक्टूबर 2024 की रात लगभग 12 बजे एक महिला ने
दिल्ली के संगम विहार थाने में शिकायत दर्ज कराई। इसमें महिला ने बताया कि उसका पति शिंटू शेख उर्फ राजा घर पर बेहोश पड़ा है। पुलिस ने मौके पर जाकर देखा तो शिंटू की मौत हो चुकी थी। इसके बाद पुलिस ने 21 अक्टूबर 2024 को संगम विहार थाने में शिंटू की हत्या का मुकदमा दर्ज किया। इसके साथ ही मामले की जांच शुरू की गई।
इस दौरान पुलिस को शिंटू शेख के घर से 21 आधार कार्ड, 4 वोटर आईडी कार्ड और 8 पैन कार्ड बरामद किए गए। इसपर पुलिस को इन दस्तावेजों के फर्जी होने का शक हो गया। इसके बाद संगम विहार पुलिस ने 8 नवंबर 2024 को बीएनएस की धारा 103 (1) के तहत एक और मामला दर्ज किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस की एक टीम बनाकर मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया।
तीन बिंदुओं पर पुलिस ने आगे बढ़ाई जांच
पुलिस ने बताया कि शिंटू के घर से बड़ी संख्या में आधार कार्ड, वोटर आईडी और पैनकार्ड मिलने के बाद पुलिस ने तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर केंद्रित होकर जांच शुरू की। इसमें से फर्जी भारतीय दस्तावेज बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाले तरीके। बरामद वोटर आईडी कार्ड के संबंध में जांच और पहचान और भारत में अवैध तरीके से घुसपैठ को सुविधाजनक बनाने वाले रूट और तंत्र। इसी बीच नवंबर में पुलिस ने शिंटू शेख की हत्या के आरोप में चार बांग्लादेशी समेत दो महिला आरोपियों को पकड़ लिया। पूछताछ में पुलिस को पता चला कि इन आरोपियों को शिंटू शेख ही अवैध तरीके से दिल्ली लाया था। बाद में पैसे को लेकर उसका आरोपियों से विवाद हो गया। इसके बाद उन्होंने शिंटू की हत्या कर दी।
बांग्लादेशी नागरिकों ने हत्या के बाद लूटी थी नकदी
शिंटू हत्याकांड में पकड़े गए बांग्लादेशी नागरिक, मिदुल मियां उर्फ आकाश अहमद, फरदीन अहमद उर्फ अभि अहमद और दो महिलाओं ने पुलिस को वारदात की पूरी कहानी बताई। आरोपियों ने हत्या के पीछे जो मकसद बताया। उसके अनुसार शिंटू शेख उर्फ राजा उन्हें धमकाता रहता था। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने शिंटू शेख की हत्या की योजना एक महीने पहले ही बना ली थी। योजना के अनुसार ही उन्होंने 20 अक्टूबर 2024 को शिंटू की गला घोंटकर हत्या कर दी। इसके बाद नकदी और सामान लूटकर फरार हो गए। पुलिस ने लूटा गया सामान और नकदी भी आरोपियों के पास से बरामद कर लिया। अवैध रूप से भारत में घुसे थे चारों आरोपी
पुलिस ने बताया कि चारों आरोपी अवैध रूप से एक साल पहले भारत में घुसे थे। वह फर्जी भारतीय पहचान पत्र के सहारे दिल्ली के संगम विहार क्षेत्र में रह रहे थे। पुलिस पूछताछ के दौरान आरोपियों ने अपने असली बांग्लादेशी पहचान पत्र (चिप आधारित एनआईडी कार्ड) और जन्म प्रमाण पत्र दिखाए। भारत में अवैध रूप से रहने के लिए आरोपियों ने अपने फर्जी आईडी का इस्तेमाल कर भारतीय दस्तावेज तैयार कराए। इसके लिए थाना संगम विहार में 6 दिसंबर 2024 को बीएनएस की धारा 318(2)/319(2)/337/61(1ए) बीएनएस और 34 आधार एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
पूनम ऑनलाइन कंप्यूटर सेंटर से बनवाए आधार कार्ड
इसकी जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि आरोपियों ने अपने आधार कार्ड दिल्ली के रोहिणी सेक्टर-5 स्थित ‘पूनम ऑनलाइन कंप्यूटर सेंटर’ से बनवाए थे। 26 साल का साहिल सहगल इसका मालिक है। पुलिस ने साहिल सहगल को गिरफ्तार किया। साहिल ने पूछताछ में बताया “शिंटू शेख उर्फ राजा के माध्यम से बांग्लादेशियों ने मुझसे संपर्क किया था। इसके बाद मैंने फर्जी वेबसाइट ‘जनताप्रिंट्स.साइट’ का इस्तेमाल कर फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाए और उन्हें आधार कार्ड प्रोसेसिंग के लिए अपने सहयोगी रंजीत को भेजे थे।”
बैंक में अधिकृत आधार ऑपरेटर के काम करता था रंजीत
साहिल के खुलासे पर पुलिस ने रोहिणी सेक्टर सात के नाहरपुर गांव निवासी 30 साल के रंजीत को पकड़ा। रंजीत ने पुलिस को बताया कि रोहिणी सेक्टर पांच स्थित कर्नाटक बैंक में अधिकृत आधार ऑपरेटर अफरोज के साथ काम करता था। बवाना की जेजे कॉलोनी निवासी अफरोज की उम्र 25 साल है। अफरोज ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल कर आधार कार्ड बनाने में उसकी मदद की। इसके बाद पुलिस ने अफरोज को भी धर दबोचा। पूछताछ में पुलिस को पता चला कि ‘जनताप्रिंट्स.साइट’ पर जन्म प्रमाण पत्र, मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, कोविड प्रमाण पत्र और आय प्रमाण पत्र सहित फर्जी दस्तावेज मामूली कीमतों पर बनाए जा रहे थे। बांग्लादेशियों को भारत में कैसे एंट्री कराता था गिरोह?
डीसीपी साउथ ने बताया कि पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने पूरे रैकेट का पर्दाफाश किया। इसके बाद अवैध बांग्लादेशियों को फर्जी दस्तावेजों के सहारे भारत में बसाने के खेल का खुलासा हो गया। पुलिस के अनुसार, इस रैकेट से जुड़े लोग बांग्लादेशी नागरिकों को जंगल के रास्ते भारत में एंट्री कराते थे। इसके बाद बाइक और अन्य परिवहन का इस्तेमाल करते थे। फिर ट्रेन से दिल्ली लाकर बसा देते थे। इसके बाद दिल्ली में रजत मिश्रा नामक शख्स फर्जी वेबसाइट बनाकर कागजात बनाता था। पुलिस ने बताया कि रैकेट से जुड़े आरोपी रोहिणी में कार्यालय बनाकर गिरोह चल रहे थे और दुकान, मिस्त्री, ब्यूटी पार्लर वगैरह का काम करते थे। पुलिस को अब तक 21 लोगों के आधार कार्ड सीज कर 6 पैन कार्ड और वोटर कार्ड बरामद किए जा चुके हैं।