पहले जानिए क्या है पूरा मामला
बलात्कार के बाद पीड़िता को छोड़ने का यह मामला साल 2018 का है। जानकारी के अनुसार,
दिल्ली में एक ऑटो चालक ने साल 2016 में 15 साल की किशोरी को अपने प्रेम जाल में फंसाया। आरोपी ऑटो चालक की उम्र भी उस समय 19 साल थी। सरकारी वकील केवी अरुण के अनुसार आरोपी ने पीड़िता को प्रेम जाल में फंसाकर उसके साथ दो साल यौन संबंध बनाए। इस दौरान साल 2018 में पीड़िता गर्भवती हो गई और उसने एक बच्चे को जन्म दिया। इसके बाद ऑटो चालक ने उसे छोड़ दिया। पीड़िता की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद से ही पीड़िता का कुछ अता-पता नहीं है। मामला कोर्ट में विचाराधीन था। सोमवार को इस मामले में कोर्ट ने सजा आरोपी को सुनाई।
दोषी को सजा में नहीं दी गई कोई भी रियायत
दिल्ली की एक कोर्ट में एडिशनल सेशन जज अनु अग्रवाल ने आरोपी का पक्ष सुनने के बाद कहा “दोषी को सजा में किसी तरह की रियायत नहीं मिलनी चाहिए, क्योंकि बलात्कार से पैदा हुई बच्ची को जीवनभर नाजायज बच्चा होने की बदनामी का दंश झेलना पड़ेगा। पीड़िता के बच्चे पर जीवन भर के लिए नाजायज संतान होने का ठप्पा लग चुका है और समाज भी उसे इसी नजर से देखेगा। बच्चे को यह तकलीफ भी सहना पड़ेगी कि वह अपनी मां के साथ हुए बलात्कार के कारण पैदा हुआ है।”
पीड़िता को खोजकर मुआवजा राशि पहुंचाने के आदेश
सरकारी वकील केवी अरुण ने एक समाचार पत्र को बताया कि यह मामला यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) तथा भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत दर्ज किया गया था। इसपर फैसला सुनाते हुए एडिशनल सेशन जज अनु अग्रवाल ने कहा ने पीड़िता को ‘आसान शिकार’ बताया। जज ने कहा कि पीड़िता के पास केस की पैरवी करने के लिए कोई पारिवारिक सहायता नहीं थी। इसके साथ ही वह नाबालिग होने के चलते अपराधी के इरादों को भी समझ नहीं सकी। मजिस्ट्रेट ने आरोपी को आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाने के साथ दो लाख का जुर्माना भी लगाया। साथ ही पुलिस को आदेश दिया कि पीड़िता को खोजकर जुर्माने की यह राशि उसतक पहुंचाई जाए। इसके अलावा पीड़िता को 16.5 लाख रुपये अतिरिक्त मुआवजा भी देने का आदेश दिया। ताकि पीड़िता अपने बच्चे की देखभाल कर सके।
अंतिम सांस तक जेल में रहेगा आरोपी
कोर्ट ने दोषी को आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए जोर देकर कहा कि उसे किसी भी तरह की रियायत नहीं मिल सकती। आरोपी अंतिम सांस तक जेल में ही रहेगा। कोर्ट ने कहा “दोषी ने बहुत ही सोची समझी रणनीति के तहत नाबालिग को फुसलाया। 17 साल की नाजुक उम्र में उसे मां बनने के लिए मजबूर किया। पीड़िता और उसके बच्चे को जो मानसिक आघात सहना पड़ा, वह अकल्पनीय है। पीड़िता और उसके बच्चे दोनों को जीवन भर के लिए मुश्किलें और अपमान झेलना पड़ेगा।” इसके बाद कोर्ट ने इस मामले से संबंधित थाना प्रभारी को आदेश दिए कि पीड़िता को खोजकर उसतक मुआवजा राशि पहुंचाई जाए।