इसरो के अधिकारियों ने बताया कि इस साल मार्च में चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण से जुड़े जरूरी परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया था। चंद्रयान-3 मिशन के प्रक्षेपण वाहन के क्रायोजेनिक ऊपरी चरण को रफ्तार देने वाले सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन का उड़ान स्वीकृति ताप परीक्षण भी सफल रहा। इससे पहले लैंडर का प्रमुख परीक्षण ईएमआइ/ईएमसी भी सफलतापूर्वक पूरा हुआ था।
ऑर्बिटर-लैंडर-रोवर उतरेंगे चांद पर चंद्रयान-3 भारत के चंद्रयान प्रोजेक्ट का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। यह चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 का अगला भाग है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरकर परीक्षण करेगा। यह चंद्रयान-2 की तरह ही दिखेगा। इसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर होगा। यान को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से देश के सबसे भारी लॉन्चिंग व्हीकल जीएसएलवी एमके-3 से लॉन्च किया जाएगा।
सही लैडिंग प्राथमिक मकसद इसरो चीफ ने हाल ही कहा था कि चंद्रयान-3 का प्राथमिक उद्देश्य सही लैंडिंग है। इसके लिए कई काम किए जा रहे हैं। इसमें नए उपकरणों और बेहतर एल्गोरिदम के निर्माण साथ विफलता के खतरे को टालने के उपाय शामिल हैं।