दिल्ली के बुराड़ी स्थित भाटिया परिवार का सामूहित आत्महत्या करने का मामला किसी को समझ नहीं आया। कमोबेश यही हाल दिल्ली पुलिस और फॉरेंसिक विशेषज्ञों का भी रहा। सरकार ने तुरंत इस मामले में जांच के आदेश दे दिए। लेकिन इस जांच ने सभी के पसीने छुड़ा दिए।
रात 1 से 3 बजे : पूरे परिवार ने अनुष्ठान में भाग लिया, जिससे उनकी मौत हो गई
सुबह 5.50 : परिवार के किराने की दुकान के सामने एक ट्रक आकर रुका और दूध- ब्रेड के पैकेट रखकर वहां चला गया
7 बजे : पड़ोसी गुरचरण सिंह की नजर जैसे ही भाटिया परिवरा के घर पर पड़ी उसने तेजी से बाहर आकर लोगों को यह बात बताई
7.30 : पुलिस को सूचना दी गई
7.45 : पुलिस का एक दल घटना स्थल पर पहुंचा, 11 शव घर से और एक जिंदा श्वान टॉमी छत पर बंधा मिला
11 बजे : पुलिस ने घटना स्थल से पहली डायरी मिली, जिसमें अनुष्ठान की जानकारी थी। ये डायरी ललित लिखता था
2 जुलाई : पुलिस ने शुरुआती जांच में फांसी को ही मौत का कारण बताया
2 जुलाई : सभी शवों को अंतिम संस्कार किया गया
10 जुलाई : पुलिस को 10 शवों जो फांसी के फंदे पर थे उनकी अंतिम पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली
20 जुलाई : नारायणी देवी के पोस्टमार्टम की अंतिम रिपोर्ट मिली, जिसमें मौत का कारण गला दबाना ही बताया गया
बुराड़ी कांड में रोजाना होने वाले खुलासों ने हर किसी के होश उड़ा दिए। घर से मिली हाथ से लिखी डायरियों से जो बातें सामने आईं उसने इस केस को और भी उलझा दिया। तंत्र-मंत्र से लेकर अंधविश्वास तक इस डायरी में हर वो सच छिपा था जिसे जानकर पूरा देश हिल गया था।
मोक्ष के लिए परिवार ने मौत को लगाया गले
बुराड़ी के संतनगर स्थित मकान नंबर 137 में 11 लोगों ने मोक्ष के चलते मौत को गले लगा लिया। इनका मानना था कि मौत के बाद इन्हें मोक्ष मिल जाएगा और दोबार ये लोग जीवित हो जाएंगे। ऐसा घर से मिली उन डायरियों में लिखा मिला जिसने जांच की दिशा कई बार मोड़ दी।
बुराड़ी के चूंडावत परिवार में 77 वर्षीय नारायण देवी, 50 वर्षीय भावनेश, 45 वर्षीय ललित, बहन 57 वर्षीय प्रतिभा, भावनेश की पत्नी सविता (48), उनके बच्चे निधि (25), मीनू (23 ), ध्रुव (15), ललित की पत्नी टीना (42), उनका बेटा शिवम (15) और भांजी प्रिंयका (33) मोक्ष के चक्कर में खुदकुशी कर ली।
भरोसा था लौट आएंगे
इनमें से 9 सदस्यों के शव फंदे पर झूल रहे थे। जबकि नारायणी देवी का शव अंदर कमरे में जमीन पर था। रसोई में तमाम तरह के व्यंजन बने हुए थे। परिवार वालों को भरोसा था कि मोक्ष के बाद वो फिर से जीवित होकर आम जिंदगी जी सकेंगे।
घटना के कई माह बाद तक इलाके में भाटिया परिवार के मकान को लेकर तरह तरह की अफवाहें उड़ती रहीं। कई लोगों ने इस मकान को भूतिया तक कहा, लेकिन चूड़ावत परिवार के एकमात्र बड़े भाई ने इन अफवाहों पर ध्यान नहीं दिया। फिलहाल इस मकान में दो भाई अहमद अली और अफसर किराए पर रहते हैं।