रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में बिग डेटा, एआइ, मशीन लर्निंग और सिक्योरिटी मैनेजमेंट विशेषज्ञों की नौकरियां तेजी से बढ़ेंगी। प्रतिभाओं की कमी से निपटने के लिए भारतीय कंपनियां नए-नए तरीके अपना रही हैं। मसलन 67 फीसदी कंपनियां विविध नए टैलेंट पूल पर फोकस कर रही हैं, 30 फीसदी कंपनियां डिग्री की शर्त हटाकर स्किल्स पर जोर दे रही हैं। दुनियाभर में यह आंकड़ा क्रमश: 47 फीसदी और 19 फीसदी है।
2030 तक भारत में क्या-क्या बदलेगा 1. रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक भारत में डिजिटल तकनीक का विस्तार, जलवायु बदलाव से जुड़े कदम, और भू-राजनीतिक तनाव नौकरियों को नया रूप देंगे। 2. नौकरियों में भारत की युवा आबादी का बड़ा योगदान रहेगा। आने वाले समय में ग्लोबल वर्कफोर्स में भारत और अफ्रीका जैसे देशों से दो-तिहाई लोग शामिल होंगे।
3. एआइ स्किल्स की डिमांड में भारत और अमरीका शीर्ष पर हैं। फर्क यह है कि अमरीका में लोग खुद इसकी पढ़ाई में दिलचस्पी ले रहे हैं, जबकि भारत में कॉर्पोरेट कंपनियां अपने कर्मचारियों को एआइ सिखाने के लिए निवेश कर रही हैं।
कृषि मजदूरों, ड्राइवरों की मांग ज्यादा होगी डब्ल्यूईएफ के मुताबिक अगले पांच साल में कृषि मजदूरों और वाहन चलाने वालों यानी ड्राइवरों की मांग बढ़ेगी। दोनों तेजी से बढ़ती नौकरियों में शामिल होंगे। डिलीवरी बढऩे से ज्यादा ड्राइवरों की जरूरत होगी। एआइ के कारण कैशियर और टिकट क्लर्कों की नौकरियों में कमी आएगी। रिपोर्ट में बताया गया कि 2030 तक 17 करोड़ नई नौकरियां सृजित होंगी, जबकि 9.2 करोड़ को नौकरियां खोनी पड़ सकती हैं।
स्किल्स का गैप बना सबसे बड़ी चुनौती रिपोर्ट में कहा गया कि करीब 40त्न मौजूदा स्किल्स में बदलाव की जरूरत होगी। 63त्न नियोक्ता मानते हैं कि यही उनके बिजनेस को बदलने में सबसे बड़ा रोड़ा है। भविष्य की नौकरियां उन्हीं के पास होंगी, जो नई तकनीक और स्किल्स को अपनाने के लिए तैयार हैं। भारत इस रेस में न सिर्फ शामिल है, बल्कि कई मायनों में आगे भी है।