चिट्ठी में महिला ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखा है कि ‘मेरे दफ्तर के साहब कहते हैं तुम टाइट (कसी हुई) जींस-टीशर्ट पहन कर ऑफिस आओ। क्योंकि तुम पूरे कपड़ों में अच्छी नहीं दिखती हो।’ महिला ने अपनी चिट्ठी में दावा किया है कि वो यहां की एक कर्मचारी है। उसने जिला पंचायती राज पदाधिकारी पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। महिला के मुताबिक वो जिला पंचायती राज पदाधिकारी राजीव कुमार के यौन शोषण से आजिज आ चुकी है।
जिला पंचायती राज पदाधिकारी के यौन शोषण से त्रस्त हो चुकी महिला ने पत्र में अपनी आपबीती लिखी है, “मेरे जिला पंचायती राज पदाधिकारी ने एक दिन मुझे अपने चेंबर में बुलाया। उनका चेंबर काले शीशे वाला है यानी अंदर जो होता है वह बाहर नहीं दिखता है। उस दिन जब साहब ने मुझे चेंबर में बुलाया तो वहां पहले से ड्राइवर मौजूद था। मेरे वहां जाते ही साहब ने ड्राइवर को वहां से बाहर भेज दिया। फिर वो मुझे लैपटॉप का बहाना बनाकर डांटने लगे।”
महिला ने आगे लिखा, “मैं उनकी डांट सुनकर रोने लगी। उसके बाद साहब मुझे सांत्वना देने के बहाने पास आए और मुझे पकड़ लिया। उनकी गलत नियत देखकर मैं भागने लगी तो उन्होंने पीछे से मुझे कस कर पकड़ लिया। इसके बाद उन्होंने टाइट जींस-टी शर्ट वाली बात कही। मैं किसी तरह से वहां से निकल पाई।”
पीड़िता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी चिट्ठी लिखकर न्याय की मांग की है। मामला सामने आने पर डीएम डॉ त्याग राजन ने जांच के आदेश देकर 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट तलब की है। डीएम डॉ. त्यागराजन ने मामले की जांच के लिए डीडीसी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया है। जांच कमेटी में जिला प्रोग्राम अधिकारी, श्रम अधीक्षक के अलावा कुछ अन्य महिला अधिकारियों को भी शामिल किया गया है।
लेकिन जांच में चौंकाने वाली बात सामने आयी है। जांच दल को जिला पंचायती राज कार्यालय में उस नाम की कोई महिला नहीं मिली, जिसके नाम से शिकायत सीएम के पास पहुंची है। उस दफ्तर में काम करने वाली सारी महिलाओं की सूची मांगी गई है। जांच दल का कहना है कि उसे पूरे मामले की विस्तृत जांच के लिए थोड़ा और समय चाहिए।
तो दूसरी तरफ, आरोपी पंचायती राज पदाधिकारी राजीव कुमार ने कहा कि उन्हें फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें बदनाम करने की नियत से फर्जी शिकायत पत्र भेजा गया है। उन्होंने कहा कि वो खुद इस वाकये से हैरान हैं और जिस नाम से शिकायत भेजी गई है उस नाम की कोई महिला उनके कार्यालय में काम ही नहीं करती। यह आरोप पूरी तरह से गलत है।