अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार आने के बाद से अल जवाहिरी काबुल में ही रह रहा था। 9/11 के आतंकी हमले में मारे गए लोगों को न्याय दिलाने की बात कहते हुए जो बाइडेन ने कहा, “हमने जवाहिरी को ढूंढकर मार गिराया है। अमेरिका और यहां की जनता के लिए जो भी खतरा बनेगा, हम उसे नहीं छोड़ेंगे। अगर आप हमारे लोगों के लिए खतरा हैं, तो अमेरिका आपको ढूंढेगा और बाहर निकालेगा, आप चाहे कहीं भी छिप जाएं, चाहे कितना भी समय लगे।”
राष्ट्रपति ने सोमवार रात साढ़े सात बजे ऑपरेशन पर व्हाइट हाउस से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि इस मिशन की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई थी। साथ ही बाकी नागरिकों को नुकसान के जोखिम को कम से कम किया गया था। एक हफ्ते पहले सब कुछ ठीक होने की स्थितियों को देखते हुए मैंने हमले के लिए अंतिम मंजूरी दे दी और मिशन सफल रहा। बाइडेन को सबसे पहले अप्रैल में जवाहिरी के काबुल में छिपे होने की जानकारी मिली थी। अमेरिकी अधिकारियों को जवाहिरी को काबुल में नेटवर्क से मिलने वाली मदद के बारे में जानकारी थी।
अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमले के बाद से अमेरिका को ओसामा बिन लादेन और अल जवाहिरी की तलाश थी। इस अटैक में 93 देशों के 2, 977 लोग मारे गए थे। इस हमले में ओसामा बिन लादेन, अल जवाहिरी समेत अलकायदा के सभी टेररिस्टों को अमेरिकी जांच एजेंसी ने आरोपी बनाया था। हालांकि कई सालों के मिशन के बाद 2 मई 2011 को अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में खोजकर मार डाला था, मगर अल जवाहिरी की तलाश जारी थी। बताया जा रहा है कि अल जवाहिरी पर 25 मिलियन डॉलर यानी 1.97 अरब रुपए इनाम भी था।
बताते चलें, अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी, मिस्र का एक सर्जन था, जो बाद में दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादियों में से एक बन गया था। जवाहिरी 1985 में इजिप्ट से पाकिस्तान के पेशावर आया था। यहां वह उन्होंने अफगानिस्तान में सोवियत सैनिकों के साथ जंग लड़ रहे लड़ाकों का इलाज करता था। यहीं जवाहिरी की मुलाकात ओसामा बिन लादेन से हुई थी।
अल-जवाहिरी की गिनती 11 सितंबर, 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर हुए हमलों के मास्टरमाइंड के रूप में भी की जाती थी। उसने इस हमले के दौरान चार विमानों को हाइजैक करने में मदद की थी। इनमें से दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के टावर से टकरा दिया था जबकि एक विमान से पेंटगन पर हमला हुआ था। एक अन्य विमान क्रैश हो गया था। इस आतंकी घटना में लगभग 3 हजार लोगों की मौत हो गयी थी।