जापान के टॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट ने जारी की चेतावनी
यह चेतावनी जापान के टॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट, रिकेन के वैज्ञानिकों द्वारा की गई है। हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस मानव कोशिकाओं में ACE2 रिसेप्टर्स से जुड़ता है, जो हार्ट में ‘बहुत कॉमन’ होता है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ लोगों को कोविड-19 के बाद हृदय की समस्या हो सकती है, और वे सही तरीके से काम नहीं कर सकते। इसके पीछे का कारण अभी तक न सामने आया है, लेकिन यह संकेत देता है कि भविष्य में हमें दिल की बीमारियों के मामले देखने को मिल सकते हैं।
हार्ट फेल होने का खतरा बढ़ सकता
वैज्ञानिकों के अनुसार, ‘SARS-CoV-2 के लगातार संक्रमण से भविष्य में हार्ट फेल होने का खतरा बढ़ सकता है। इसके बावजूद, अभी तक कोई क्लिनिकल सिद्धांतिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। लेकिन कोरोना वायरस की इस अनुसंधान को वैश्विक स्तर पर थ्री डाइमेंशनल ह्यूमन कार्डियेक टिशू मॉडल के माध्यम से मान्यता दी जानी चाहिए। यह मॉडल वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल में जोखिम के रूप में कार्य करेगा।
रिकेन रिसर्च लीडर हिदेतोशी मासूमोतो ने इस विषय में अपनी बात रखते हुए कहा है कि, कोरोनावायरस से संक्रमित व्यक्तियों के दिल में लगातार वायरल संक्रमण हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि ‘हार्ट फेलियर महामारी’ के लिए एक परीक्षण प्रणाली और उपचार की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि हम देख सकें कि हार्ट फेलियर के रोगियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।