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World Economic Forum Report: पुरुषों की तुलना में 60 फीसदी कम है भारतीय महिलाओं की आय

World Economic Forum Report: वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने भारत में आय की असमानता का खुलाया किया है लेकिन सबसे बेहतरीन खबर यह है कि अब माध्यमिक शिक्षा में लैंगिक असमानता खत्म हो गई है। लड़कियों को बेहतर शिक्षा मिल रही है और वह अपने कैरियर में आगे बढ़ने को तत्पर हैं।

नई दिल्लीJun 13, 2024 / 08:26 am

Anand Mani Tripathi

World Economic Forum Report: लैंगिक समानता पर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत ने माध्यमिक शिक्षा में नामांकन के मामले में भारत ने सुधार किया है और यहां लैंगिक असमानता का उन्मूलन हो चुका है। राजनीतिक सशक्तिकरण के मामले में भारत का विश्व स्तर पर 65वें स्थान पर रहा। लैंगिक समानता के मामले में भारत की वैश्विक रैंकिंग में दो अंकों की गिरावट ही देखने को मिली है। दुनिया के 146 देशों में भारत की रैंकिंग इसमें 129 है। जबकि पिछले साल यह 127वें नंबर पर था।
सूचकांक में इस पर प्रकाश डाला गया है कि भारत उन देशों में शामिल है जहां आर्थिक लैंगिक समानता का स्तर सबसे कम है। आर्थिक समता के पैमाने पर भारत को 0.398 अंक दिए गए हैं। जिसका अर्थ है कि भारत में महिलाएं औसतन पुरुषों के 100 रुपए की तुलना में 39.8 रुपए ही कमाती हैं। इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में जिस काम के लिए पुरुषों को 100 रुपए दिए जाते है, उसी काम के लिए महिलाओं को 52 रुपए दिए जाते हैं।
इस पैमाने पर भारत का स्थान दुनिया के सबसे निचले पांच देशों में है। सूची में भारत का से नीचे सिर्फ चार देश हैं। ये देश हैं – पाकिस्तान, ईरान, सूडान और बांग्लादेश। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत ने इस पैमाने पर पिछले कुछ सालों से लगातार सुधार किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व ने लैंगिक असमानता को 68.5 प्रतिशत तक कम कर दिया है, लेकिन वर्तमान गति से पूर्ण लैंगिक समानता प्राप्त करने में 134 वर्ष का समय लगेगा।
लैटिन अमरीका में सबसे कम लैंगिक असमानता
रिपोर्ट में कहा गया है कि लैंगिक समानता के मौजूदा हालातों में दक्षिण एशिया में लैंगिक समानता को हासिल करने में 149 वर्ष लगेंगे। सबसे अधिक 189 वर्ष पूर्वी एशियाई और प्रशांत क्षेत्र के देशों को लगेंगे। जबिक यूरोप को 67, उत्तर अमरीका को 95 वर्ष और लैटिन अमरीका तथा कैरेबियन देशों को 53 वर्ष लगेंगे। यानी लैंगिक विषमता को हटाने में सबसे कम बाधाएं लैटिन अमरीकी तथा कैरेबियन देशों में हैं।
आइसलैंड सबसे ऊपर, पाकिस्तान और सूडान सबसे नीचे
सूची में शीर्ष 10 देशों सबसे अधिक यूरोप के सात देश हैं। आइसलैंड ने 0.935 के स्कोर के साथ अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है। इसके बाद फिनलैंड (0.875), नॉर्वे (0.875), न्यूजीलैंड (0.835), स्वीडन (0.816), निकारागुआ (0.811), जर्मनी (0.810), नामीबिया (0.805), आयरलैंड (0.802), और स्पेन (0.797) हैं। 0.641 के स्कोर के साथ भारत 129वें स्थान पर है। बांग्लादेश को 99वें स्थान पर, नेपाल को 117वें स्थान पर और श्रीलंका को निकटतम पड़ोसियों में 122वें स्थान पर रखा गया है। पाकिस्तान (0.570) 145वें स्थान पर है, जो सूडान (0.568) से एक रैंक ऊपर है, जो सूचकांक में सबसे नीचे है।
भारत में सिर्फ 14 फीसदी कर्मी खुश, दुनिया में 34 फीसदी
उधर, गैलप के 2024 के स्टेट ऑफ द ग्लोबल वर्कप्लेस रिपोर्ट के अनुसार, केवल 14% भारतीय कर्मचारियों को लगता है कि वे जीवन में बेहतर कर रहे हैं, जबकि अन्य 86 प्रतिशत को लगता है कि वे संघर्ष या पीड़ा से गुजर रहे हैं। जबकि वैश्विक स्तर पर 34% कर्मचारी ऐसा महसूस करते हैं कि वे जीवन में बेहतरी की ओर बढ़ रहे हैं।
लैंगिक समानताः 146 देशों में मुख्य पैमानों पर भारत की वैश्विक रैंक

श्रेणी——————–2024—2023
लैंगिक समानता में वैश्विक रैंक 129—127
आर्थिक भागीदारी और अवसर 142—142
शैक्षिक उपलब्धियां ———112— 26
राजनीतिक सशक्तिकरण—– 65— 59
स्वास्थ्य और उत्तरजीविता—–142—142
लैंगिक समानताः भारत ने इन उपश्रेणियों में किया बेहतर
ग्लोबल रैंक
माध्यमिक शिक्षा में पंजीकरण 1
पिछले 50 सालों में राज्य के प्रमुख की भूमिका में महिला और पुरुष 10

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