रिपोर्ट में कहा गया है कि लैंगिक समानता के मौजूदा हालातों में दक्षिण एशिया में लैंगिक समानता को हासिल करने में 149 वर्ष लगेंगे। सबसे अधिक 189 वर्ष पूर्वी एशियाई और प्रशांत क्षेत्र के देशों को लगेंगे। जबिक यूरोप को 67, उत्तर अमरीका को 95 वर्ष और लैटिन अमरीका तथा कैरेबियन देशों को 53 वर्ष लगेंगे। यानी लैंगिक विषमता को हटाने में सबसे कम बाधाएं लैटिन अमरीकी तथा कैरेबियन देशों में हैं।
सूची में शीर्ष 10 देशों सबसे अधिक यूरोप के सात देश हैं। आइसलैंड ने 0.935 के स्कोर के साथ अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है। इसके बाद फिनलैंड (0.875), नॉर्वे (0.875), न्यूजीलैंड (0.835), स्वीडन (0.816), निकारागुआ (0.811), जर्मनी (0.810), नामीबिया (0.805), आयरलैंड (0.802), और स्पेन (0.797) हैं। 0.641 के स्कोर के साथ भारत 129वें स्थान पर है। बांग्लादेश को 99वें स्थान पर, नेपाल को 117वें स्थान पर और श्रीलंका को निकटतम पड़ोसियों में 122वें स्थान पर रखा गया है। पाकिस्तान (0.570) 145वें स्थान पर है, जो सूडान (0.568) से एक रैंक ऊपर है, जो सूचकांक में सबसे नीचे है।
उधर, गैलप के 2024 के स्टेट ऑफ द ग्लोबल वर्कप्लेस रिपोर्ट के अनुसार, केवल 14% भारतीय कर्मचारियों को लगता है कि वे जीवन में बेहतर कर रहे हैं, जबकि अन्य 86 प्रतिशत को लगता है कि वे संघर्ष या पीड़ा से गुजर रहे हैं। जबकि वैश्विक स्तर पर 34% कर्मचारी ऐसा महसूस करते हैं कि वे जीवन में बेहतरी की ओर बढ़ रहे हैं।
लैंगिक समानता में वैश्विक रैंक 129—127
आर्थिक भागीदारी और अवसर 142—142
शैक्षिक उपलब्धियां ———112— 26
राजनीतिक सशक्तिकरण—– 65— 59
स्वास्थ्य और उत्तरजीविता—–142—142
लैंगिक समानताः भारत ने इन उपश्रेणियों में किया बेहतर
ग्लोबल रैंक
माध्यमिक शिक्षा में पंजीकरण 1
पिछले 50 सालों में राज्य के प्रमुख की भूमिका में महिला और पुरुष 10