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सावधान! विश्व में 3.3 करोड़ बच्चों को नहीं मिली खुराक, भारत में भी हालात अच्छे नहीं, क्या हैं लक्षण और बचाव?

Measles cases spiking globally : खसरा से बचाव के लिए टीका लेना बहुत जरूरी है और इसके अभाव में बच्चे की जान भी जा सकती है। भारत, विश्व के उन 10 देशों में शामिल है जहां पिछले साल खसरे से बचाव के लिए पहली खुराक ही लेने से लाखों बच्चे चूक गए।

Nov 18, 2023 / 09:03 am

स्वतंत्र मिश्र

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WHO and CDC an eye opening report about Measles: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अमरीकी रोग नियंत्रण व रोकथाम केंद्र (CDC) की रिपोर्ट ‘वैश्विक स्तर पर खसरा उन्मूलन की दिशा में प्रगति 2000-2022’ के अनुसार पिछले साल दुनियाभर में खसरे के मामलों में 18 फीसदी की वृद्धि हुई है। गत वर्ष विश्व में 2.2 करोड़ बच्चे अपनी पहली और 1.1 करोड़ बच्चे दूसरी खुराक लेने से चूक गए। वहीं भारत 10 प्रमुख देशों मे शामिल है जहां उन बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है जिन्हें इस संक्रामक बीमारी से बचाव का पहला टीका नहीं लगा। पिछले साल भारत में 11 लाख बच्चे इस महत्त्वपूर्ण खुराक से वंचित रह गए।

लाखों बच्चे इस रोग के प्रति हुए असुरक्षित

खसरा खासतौर पर छोटे बच्चों को प्रभावित करता है और कभी-कभी उनके लिए जानलेवा भी साबित होता है। इसके कारण 2021 से 2022 तक होने वाली मौतों में वैश्विक स्तर पर 43 फीसदी की वृद्धि हुई। हालांकि कोरोना महामारी की असफलताओं के बाद पिछले साल खसरा टीकाकरण कवरेज में कुछ सुधार हुआ लेकिन निम्न आय वाले देशों में कवरेज में गिरावट आई और वैश्विक स्तर पर लाखों बच्चे इस रोग के प्रति असुरक्षित हो गए। वहीं दुनिया का कोई भी क्षेत्र खसरा उन्मूलन के लिए दोनों डोज के 95 फीसदी के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया।

कम आय वाले देशों में मृत्यु का जोखिम ज्यादा

पिछले साल 37 देशों में व्यापक स्तर पर खसरे का प्रकोप फैला जिनमें अधिकांश अफ्रीकी देश थे। कम आय वाले देशों में जहां खसरे से मृत्यु का जोखिम सर्वाधिक है, यहां टीकाकरण दर केवल 66 फीसदी के साथ सबसे कम बनी हुई है। 2022 में खसरे के टीके की पहली खुराक लेने से वंचित रह गए बच्चों में से आधे से अधिक सिर्फ 10 देशों अंगोला, ब्राजील, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, भारत, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, नाइजीरिया, पाकिस्तान और फिलीपींस में रहते हैं।

एक्सपर्ट व्यू: यह वृद्धि दर चौंकाने वाली

खसरे के प्रकोप और मौतों में वृद्धि चौंकाने वाली है लेकिन दुर्भाग्य से पिछले कुछ वर्षों में टीकाकरण दरों में गिरावट को देखते हुए यह अप्रत्याशित नहीं है। ये मामले उन सभी देशों और समुदायों के लिए खतरा पैदा करते हैं, जहां टीकाकरण कम होता है। खसरे की बीमारी और मौतों को रोकने के लिए तत्काल लक्षित प्रयास जरूरी हैं। – जॉन वर्टेफ्यूइल, वैश्विक टीकाकरण प्रभाग के निदेशक, सीडीसी

खसरा क्यों होता है और क्या हैं इसके लक्षण?

खसरा एक संक्रामक रोग है। यह रोग संक्रमित बच्चे या वयस्क के नाक और गले में पाए जाने वाले वायरस के कारण होता है। खसरे से पीड़ित कोई व्यक्ति जब खांसता या छींकता है या बात करता है तो वायरस का संक्रमण हवा में फैल जाता है और यह श्वांस लेने के कम्र में शरीर के अंदर चला जाता है। इनके लक्षणों में बुखार, नाक बहना, सूखी खांसी, लाल आंखे और लाल खुजली वाले चकत्ते शामिल हैं। इसकी पहचान शरीर पर उग आने वाले चकत्ते के आधार पर होती है। इससे प्रभावित होने वाले ज़्यादातर बच्चे ठीक हो जाते हैं लेकिन कई बार यह घातक भी हो सकता है। यह दिमागी तौर पर नुकसान पहुंचा सकती है और इससे जान भी जा सकती है।

खसरा से कैसे करें बचाव?

खसरा से बचाव के लिए चिकित्सक सलाह देते हैं कि बच्चों को 12 से 15 महीने की उम्र के बीच और उसके बाद 4 से 6 साल की उम्र के बीच यानी स्कूल शुरू करने से पहले एमएमआर टीका लगवा लिए जाएं। गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और कम इम्युनिटी वाले लोगों को खसरे की चपेट में आने के बाद छह दिनों के भीतर प्रोटीन एंटी-बॉडी इंजेक्शन दिया जाता है जो खसरे के प्रकोप को थोड़ा कम कर देता है।

 

प्रमुख देश जहां नहीं मिली पहली खुराक

देश वंचित बच्चे (लाख)
नाइजीरिया 30
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य 18
इथियोपिया 17
भारत 11
पाकिस्तान 11

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