कपल और सरोगेट मदर के बीच होता है एग्रीमेंट
एक तकनीक में कोई कपल अपना बच्चा पैदा करने के लिए किसी महिला की कोख किराए पर लेता है। इस प्रकिया में जिस महिला की कोख किराए पर ली जाती है, उसे सरोगेट मदर कहा जाता है। इस प्रकिया में बच्चे की चाह रखने वाले कपल और सरोगेट मदर के बीच एक समझौता किया जाता है। इस एग्रीमेंट के तहत सरोगेट मदर बच्चे को जन्म देगी। इसके बाद बच्चे पर पूरा अधिकार उस कपल का होगा, जिसमें सरोगेसी करवाई है। सरोगेसी का ऑप्शन चुनना गलत नहीं हैं लेकिन आपको पूरी जांच पड़ताल करनी जरूरी है।
सरोगेसी क्यों जरूरी है
सरोगेसी की आवश्यक किसको और क्यों पड़ती है। किन्ही खास कारणों की वजह से सरोगेसी की जरूरी हो जाती है। किसी महिला का बार-बार गर्भपात हो रहा हो। या गर्भ में किसी तरह की विकृति होने पर। गर्भाशय का अभाव होने पर। भ्रूण आरोपण उपचार में विफलता। इनके अलावा दिल संबंधी बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर अगर महिला को प्रेग्नेंसी के समय हेल्थ समस्या होने का डर हो। वह सरोगेसी की मदद से बच्चे को जन्म दे सकती है। कोई महिला खुद बच्चा पैदा नहीं करना चाहती है तो फिर वह सरोगेसी का सहारा लेती है।
सरोगेसी का खर्च
भारत में सरोगेसी का खर्च करीब 10 से 25 लाख रुपये के बीच आता है, जबकि विदेशों में इसका खर्च करीब 60 लाख रुपये तक आ जाता है।
सरोगेसी के प्रकार
सरोगेसी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है। पहली ट्रेडिशनल सरोगेसी और दूसरी जेस्टेशनल सरोगेसी। ट्रेडिशनल सरोगेसी में पिता या डोनर के शुक्राणुओं को सरोगेट मदर के अंडाणुओं से मिलाया जाता है। इस प्रकिया में बच्चे की बॉयोलॉजिकल मदर (जैविक मां) सरोगेट मदर ही होती है। हालांकि इसमें बच्चे के जन्म के बाद उस पर पूरा अधिकार उस कपल का ही होता है, जिसने सरोगेसी करवाई है।
जेस्टेशनल सरोगेसी में पिता के शुक्राणुओं और माता के अंडाणुओं को मिलाकर सरोगेट मदर की बच्चेदानी में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस प्रकिया में सरोगेट मदर सिर्फ बच्चे को जन्म देती है। इसमें बच्चे का सरोगेट मदर से किसी भी तरह से जेनेटिकली संबंध नहीं होता है। बच्चे की जैविक मां सरोगेसी करवाने वाली महिला ही होती है।