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सरोगेसी क्या है : कितना आता है खर्च, कैसे होता है बच्चे का जन्म

सरोगेसी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक महिला और कोई दूसरे कपल या सिंगल पैरेंट के बीच होता है। आसान शब्दों में कहें तो सरोगेसी का मतलब है किराये की कोख। जब कोई पति-पत्नी बच्चे को जन्म नहीं दे पा रहे हैं (या देना नहीं चाहते), तो किसी अन्य महिला की कोख को किराये पर लेकर उसके जरिए बच्चे को जन्म देना सरोगेसी कहलाता है।

Jan 22, 2022 / 11:06 am

Shaitan Prajapat

 sarogesi kya hay

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what is surrogacy : सरोगेसी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक महिला और कोई दूसरे कपल या सिंगल पैरेंट के बीच होता है। आसान शब्दों में कहें तो सरोगेसी का मतलब है किराये की कोख। जब कोई पति-पत्नी बच्चे को जन्म नहीं दे पा रहे हैं (या देना नहीं चाहते), तो किसी अन्य महिला की कोख को किराये पर लेकर उसके जरिए बच्चे को जन्म देना सरोगेसी कहलाता है। बच्चा पैदा करने के लिए जिस महिला की कोख को किराये पर लिया जाता है, उसे सरोगेट मदर कहते हैं। भारत में बीते कुछ सालों में सरोगेसी का चलन लगातार बढ़ता ही जा रहा है। सरोगेसी की मदद से भारत में कई बॉलीवुड सेलेब्रेटी जैसे प्रियंका चोपड़ा, करण जौहर, तुषार कपूर, एकता कपूर, शिल्पा शेट्टी, प्रीटी जिंटा, सनी लियोनी सहित स्टार बच्चों को जन्म दिया है।

कपल और सरोगेट मदर के बीच होता है एग्रीमेंट
एक तकनीक में कोई कपल अपना बच्चा पैदा करने के लिए किसी महिला की कोख किराए पर लेता है। इस प्रकिया में जिस महिला की कोख किराए पर ली जाती है, उसे सरोगेट मदर कहा जाता है। इस प्रकिया में बच्चे की चाह रखने वाले कपल और सरोगेट मदर के बीच एक समझौता किया जाता है। इस एग्रीमेंट के तहत सरोगेट मदर बच्चे को जन्म देगी। इसके बाद बच्चे पर पूरा अधिकार उस कपल का होगा, जिसमें सरोगेसी करवाई है। सरोगेसी का ऑप्शन चुनना गलत नहीं हैं लेकिन आपको पूरी जांच पड़ताल करनी जरूरी है।

सरोगेसी क्यों जरूरी है
सरोगेसी की आवश्यक किसको और क्यों पड़ती है। किन्ही खास कारणों की वजह से सरोगेसी की जरूरी हो जाती है। किसी महिला का बार-बार गर्भपात हो रहा हो। या गर्भ में किसी तरह की विकृति होने पर। गर्भाशय का अभाव होने पर। भ्रूण आरोपण उपचार में विफलता। इनके अलावा दिल संबंधी बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर अगर महिला को प्रेग्नेंसी के समय हेल्थ समस्या होने का डर हो। वह सरोगेसी की मदद से बच्चे को जन्म दे सकती है। कोई महिला खुद बच्चा पैदा नहीं करना चाहती है तो फिर वह सरोगेसी का सहारा लेती है।

सरोगेसी का खर्च
भारत में सरोगेसी का खर्च करीब 10 से 25 लाख रुपये के बीच आता है, जबकि विदेशों में इसका खर्च करीब 60 लाख रुपये तक आ जाता है।

 

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सरोगेसी के प्रकार
सरोगेसी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है। पहली ट्रेडिशनल सरोगेसी और दूसरी जेस्टेशनल सरोगेसी। ट्रेडिशनल सरोगेसी में पिता या डोनर के शुक्राणुओं को सरोगेट मदर के अंडाणुओं से मिलाया जाता है। इस प्रकिया में बच्चे की बॉयोलॉजिकल मदर (जैविक मां) सरोगेट मदर ही होती है। हालांकि इसमें बच्चे के जन्म के बाद उस पर पूरा अधिकार उस कपल का ही होता है, जिसने सरोगेसी करवाई है।
जेस्टेशनल सरोगेसी में पिता के शुक्राणुओं और माता के अंडाणुओं को मिलाकर सरोगेट मदर की बच्चेदानी में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस प्रकिया में सरोगेट मदर सिर्फ बच्चे को जन्म देती है। इसमें बच्चे का सरोगेट मदर से किसी भी तरह से जेनेटिकली संबंध नहीं होता है। बच्चे की जैविक मां सरोगेसी करवाने वाली महिला ही होती है।

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