2002 में लागू हुआ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट
मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट साल 2002 में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट (PMLA) लागू किया गया था। उसके बाद से अब तक रिकॉर्ड के मुताबिक कुल 5,422 मामले दर्ज किए गए हैं। इसमें कई हाई प्रोफाइल लोगों का नाम भी सामने आया है। इन मामलों में छापेमारी करते हुए 1.04 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा संपत्ति अटैच की जा चुकी है। वहीं, अब तक कुल 400 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। हालांकि, सभी को इसमें दोषी नहीं पाया गया है, अब तक केवल 25 लोगों को ही दोषी ठहराया गया है।
कैसे होती है कि जब्ती की कार्रवाई
छापेमारी के दौरान ईडी या सीबीआई नगद, सामग्री या प्रॉपर्टी की जब्ती करती है। इसके बाद उसका आंकलन किया जाता है। जब्त किए गए सामान की एक विस्तृत रिपोर्ट या पंचनामा बनाकर फाइल किया जाता है। पंचनामा और जब्त सामान की डिटेल पर जिस व्यक्ति पर छापेमारी की गई है, उसके हस्ताक्षर होते हैं। इसके अलावा दो गवाहों के भी हस्ताक्षर इस पंचनामे पर लिए जाते हैं। सामान या जेवरात पर किसी भी तरह का निशान हो तो ईडी उसे सील किए हुए लिफाफे में रखती है, जिससे उसे सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किया जा सके।
कहां जाती है जब्त की गई प्रॉपर्टी
नियमों के अनुसार ED की ओर से जब्त की गई संपत्ति को सरकार के वेयरहाउस में रखा जाता है। इसके अलावा कई बार जब्त किए गए पैसों को रिजर्व बैंक या फिर एसबीआई में सरकार के खाते में जमा कर दिया जाता है। इडी इन जब्त किए गए पैसों और संपत्तियों को अधिकतम 180 दिन तक अपने पास रख सकता है। छह महीने के दौरान उसे कोर्ट में इन संपत्तियों से जुड़े आरोपों को सिद्व करना होता है।
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…तो वापस लौटानी पड़ती है संपत्ति
नियमों के अनुसार कोर्ट में आरोप सही साबित होने पर संपत्ति सरकार के पास चली जाती है। मामला केंद्र सरकार से जुड़ा है तो पैसे को केंद्र सरकार के खाते में जमा होता है। वहीं, राज्यों से जुड़े मामले में जब्त रुपए को राज्य सरकार के खाते में जमा कराया जाता है। यदि ED इन आरोपों को साबित नहीं कर पाती है तो संपत्ति वापस उस व्यक्ति को दे दी जाती है, जिससे जब्त की गई थी।