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बिहार में 75 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता साफ, नीतीश कैबिनेट ने दी मंजूरी

75 percent reservation in Bihar: बिहार सरकार ने राज्य की सरकारी नौकरियों में आबादी के अनुरूप आरक्षण देने के लिए इसका दायरा 60 से बढ़ा कर 75 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है और इसके लिए चालू सत्र में ही विधायक लाया जाएगा ।

Nov 07, 2023 / 09:35 pm

Prashant Tiwari

 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को विधानसभा में पेश जाति आधारित गणना की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद राज्य में आरक्षण का दायरा 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया था । इस प्रस्ताव के कुछ ही देर के नीतीश मंत्रिमंडल ने इस पर मोहर भी लगा दी है। अब विधानमंडल के चालू सत्र में ही इससे संबंधित विधायक लाया जाएगा ।

जनसंख्या के अनुपात में मिलता है आरक्षण

इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में कहा था कि अनुसूचित जातियों – जनजातियों को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण मिलता है । 2011 की जनगणना की तुलना में इनकी आबादी बढ़ी है। इसलिए अनुसूचित जाति को 16 के बदले 20 और जनजातियों को एक के बदले दो प्रतिशत आरक्षण दिया जाए । इसी तरह पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों की भी आबादी बढ़ी है।

उन्हें अभी 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता है, इसे बढ़ा कर 43 प्रतिशत किया जाए। पिछड़े वर्ग की महिलाओं को पहले से मिलने वाला तीन प्रतिशत आरक्षण इसमें समायोजित कर दिया जाएगा। राज्य सरकार पहले से ही महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दे रही है। इसलिए अब इसकी आवश्यकता नहीं रह गई है।

 

94 लाख गरीब परिवारों को दो लाख रुपये देगी राज्य सरकार

मुख्यमंत्री ने कहा कि सवर्ण गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण यथावत रहेगा। इस तरह आरक्षण 60 से बढ़कर 75 प्रतिशत हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 94 लाख गरीब परिवार हैं और उनके पास कोई रोजगार नहीं है। इन गरीब परिवार को 2 लाख रुपए राज्य सरकार की तरफ से मदद दी जाएगी। ये मदद सभी जाति के गरीबों को पहुंचाई जाएगी।

जमीन खरीदने के लिए 1 लाख रुपये देगी राज्य सरकार

नीतीश कुमार ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 63 हजार 850 परिवार के पास रहने के लिए घर नहीं है । उन्हें जमीन खरीदने के लिए 60 हज़ार रुपये के बदले एक लाख रुपये दिया जाएगा। इसके अलावा घर बनाने के लिए पहले से एक लाख 20 हजार रुपये दिया जाता है, वह भी मिलेगा।

इन दोनों योजनाओं के लिए 2 लाख 50 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को 50-50 हजार रुपये प्रति वर्ष खर्च कर 5 साल में पूरा कर लिया जाएगा लेकिन विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए तो 2 साल मे ही यह लक्ष्य पूरा हो जाएगा।

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