2030 में 60 करोड़ लोग करेंगे भुखमरी का सामना
रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा बर्बादी दर से 2033 तक खेतों और स्लाटर से खुदरा बिक्री के लिए पहुंचने के बीच करीब खाद्य बर्बादी 700 मीट्रिक टन तक पहुंच जाएगी, जबकि खुदरा स्तर और घरों में बर्बादी की मात्रा 1,140 मीट्रिक टन तक पहुंच जाएगी। जो कि 2023 की तुलना में 230 मीट्रिक टन अतिरिक्त खाद्य बर्बादी होगी। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 2033 तक, खेतों से निकलने वाली उपज के दुकानों तथा घरों तक पहुंचने के बीच नष्ट होने वाली कैलोरी की संख्या उस कैलोरी के दोगुने से भी ज्यादा हो सकती है, जो वर्तमान में निम्न आय वाले देशों में प्रति वर्ष उपभोग की जाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, 2030 में लगभग 60 करोड़ लोग भुखमरी का सामना करेंगे।खाद्य बर्बादी रोकने से कीमतों में भी आएगी कमी
खाद्य हानि और बर्बादी को कम करने के उपायों से दुनिया भर में खाद्य उपभोग में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है, क्योंकि इससे अधिक खाद्य उपलब्ध होगा और कीमतें कम होंगी, जिससे निम्न आय वर्ग की आबादी के लिए भोजन तक अधिक पहुंच सुनिश्चित होगी। साथ ही, 2030 तक खाद्यान्न की हानि और बर्बादी को आधा करने से निम्न आय वाले देशों में खाद्य सेवन में 10 प्रतिशत, निम्न मध्यम आय वाले देशों में छह प्रतिशत और उच्च मध्यम आय वाले देशों में चार प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।इस तरह से बर्बाद हो रहा खाना
खेतों से खुदरा बिक्री के लिए पहुंचने तक – 13 फीसदीघरों, होटलों और खुदरा स्तर पर बर्बाद हो रहा खाना – 19 फीसदी
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वैश्विक बाजार में भारत का असर बढ़ेगा, चीन का कम होगा
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले दशक में वैश्विक खाद्य और कृषि उत्पाद उपभोग में चीन का असर कम होगा और भारत तथा दक्षिण एशिया का प्रभाव बढ़ेगा।भारत में दूध की खपत बढ़ी
ओईसीडी देशों में जहां पिछले दो दशकों में दुग्ध उत्पादों की खपत घटकर 36 फीसदी से घटकर 26 फीसदी रह गई है, वहीं भारत में इसका बाजार 11 फीसदी बढ़ा है। ओईसीडी देशों में मीट की खपत में भी कमी आई है। वहीं, चीन में वनस्पति तेल का बाजार 11 फीसदी बढ़ा है।![11](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/07/photo_2024-07-03_13-23-46.jpg?w=640)