लोकसभा में अटका बिल
वक्फ बोर्ड बिल जिसे लोकसभा में पेश किया गया था, वो अटक गया है। अब यह बिल संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) को भेजा जाएगा। विधेयक में शामिल प्रावधानों पर विपक्षी दलों की आपत्ति के बाद किरेन रिजिजू ने प्रस्ताव रखा कि इसको ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) को भेज दिया जाए। इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि हां, जल्द ही कमेटी बनाऊंगा। स्पीकर अब दोनों सदनों के सदस्यों की एक जेपीसी बनाएंगे जो इस विधेयक के पहलुओं और सांसदों की आपत्तियों पर विचार करेगी और संसद को अपनी सिफारिश सौंपेगी।किन-किन दलों ने किया समर्थन
मोदी सरकार द्वारा लाई गयी इस संशोधन बिल का कांग्रेस, टीएमसी, समाजवादी पार्टी, डीएमके, माकपा, भाकपा, वाईएसआर कांग्रेस आदि पार्टियों ने विरोध किया, वहीं सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल जनता दल यूनाइटेड (JDU), तेलुगु देशम (TDP) और शिवसेना ने समर्थन किया। श्रीकांत एकनाथ शिंदे ने इंडिया गठबंधन पर जोरदार हमला करते हुए कहा, “जो देश की व्यवस्थाओं को जाति-धर्म के आधार पर चलाना चाहते हैं, उन्हें शर्म आनी चाहिए। इस विधेयक का मकसद पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाना है लेकिन संविधान पर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है। जो लोग विरोध कर रहे हैं, उनकी सरकार ने जब महाराष्ट्र में शिर्डी, महालक्ष्मी मंदिरों में प्रशासक बैठाये थे, उन्हें संविधान एवं संघीय ढांचे की याद क्यों नहीं आयी।”कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए ये विधेयक लेकर आई है – अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने कहा, “यह विधेयक सोची समझी राजनीति से लाया गया है। जब वक्फ़ बोर्ड में सदस्यों को लोकतांत्रिक ढंग से चुने जाने की व्यवस्था है तो मनोनयन करने की जरूरत क्यों है। क्यों गैर बिरादरी का व्यक्ति बोर्ड में होना चाहिए। सच्चाई यह है कि भाजपा हताश और निराश है और चंद कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए ये विधेयक लेकर आई है। ये विधेयक इसलिये लाया गया है कि ये अभी अभी हारे हैं। अध्यक्ष का पद लोकतंत्र का न्यायालय होता है लेकिन अध्यक्ष के अधिकारों को भी काटा जा रहा है।”अखिलेश पर भड़क गए अमित शाह
अखिलेश यादव के बयान पर गृह मंत्री अमित शाह भड़क गये। उन्होंने कहा, ” गोलमोल बात नहीं कीजिये। अध्यक्ष के अधिकार पूरे सदन के अधिकार हैं और अखिलेश यादव उन अधिकारों के संरक्षक नहीं हैं।”केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में खड़े होकर कहा कि आजादी के बाद वक्फ बोर्ड के कानून में संशोधन होने के बाद ‘मुसलमान वक्फ कानून-1923’ का अस्तित्व अपने आप ही समाप्त हो गया था। लेकिन, इसे कागजों से नहीं हटाया गया। शाह ने कहा कि यह बिल (मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक-2024) 1923 में बने (मुसलमान वक्फ कानून-1923) कानून को सिर्फ कागजों से हटाने के लिए लाया गया है, जो अस्तित्व में ही नहीं है। ध्वनिमत से यह विधेयक भी सदन में पेश हो गया।