इसी बीच कांग्रेस नेता बी के हरिप्रसाद ने सोमवार को एक और सांप्रदायिक विवाद छेड़ दिया, उन्होंने कहा, “जो लोग अजान के खिलाफ कैंपेन चला रहे हैं, वे सभी आतंकवादी है। अजान का विवाद उठाकर दो धर्मों के बीच जहरीले बीज बोने और समाज में अशांति फैलाने की मुहिम शुरू करने वाले आतंकवादी हैं। ऐसे लोगों को यूएपीए एक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।”
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि कर्नाटक की बीजेपी सरकार खुद का बचाव करने और अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए असामाजिक तत्वों का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि अजान का विरोध कर रहे लोग संघ परिवार के हाथों में ऑक्टोपस की तरह हैं, जिसके जरिए ये काम कराया जा रहा है।
बी के हरिप्रसाद के इस बयान पर हिंदू संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। श्रीराम सेना के सिद्धालिंगा स्वामी ने कहा, “कांग्रेस से और क्या उम्मीद की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत संवैधानिक रूप से अजान का विरोध किया जा रहा है। इस तरह की पहल करने और सुबह की पूजा करने वाले हिंदुओं को हरिप्रसाद की ओर से आतंकवादी बताना दुर्भाग्यपूर्ण है।”
तो वहीं श्रीराम सेना के फाउंडर प्रमोद मुतालिक ने कहा, “गर मुस्लिम समुदाय के लोग सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं करते हैं तो उनका सामाजिक और आर्थिक बायकॉट किया जाएगा।” बता दें, प्रमोद मुतालिक ने सोमवार सुबह मैसूर के एक मंदिर में हनुमान चालीसा पाठ और सुप्रभात प्रार्थना के कार्यक्रम का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम सुबह मस्जिदों में होने वाली अजान के विरोध में शुरू किया गया।
दरअसल, श्रीराम सेना के संस्थापक प्रमोद मुतालिक ने कर्नाटक में अजान बजाने वाले लाउडस्पीकरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार के लिए समय सीमा 9 मई निर्धारित की थी। मुतालिक के संगठन ने चेतावनी दी थी कि अगर कर्नाटक सरकार ने अज़ान बजाने वाले लाउडस्पीकरों को नहीं रोका, तो वे स्पीकर पर हनुमान चालीसा और सुप्रभातम बजाएंगे।
मुतालिक ने कहा, “सरकार द्वारा नोटिस दिए जाने के बावजूद किसी ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया है। 9 मई से, हनुमान चालीसा और ‘ओंकार’ राज्य भर के 1000 से अधिक मंदिरों में सुबह 5 बजे बजाया जाएगा।” तो वहीं मुतालिक के कहे मुताबिक सोमवार को पूरे कर्नाटक में अजान के समय हनुमान चालीसा का पाठ किया गया, इस दौरान लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा और सुप्रभातम बजाने के लिए कर्नाटक में श्री राम सेना के कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिए जाने के बाद यह विवाद और गहरा गया।