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भाजपा और कांग्रेस में हुई बगावत, क्षेत्रीय दल बने बागियों का सहारा

हरियाणा विधानसभा चुनाव में बहुकोणीय मुकाबला होने जा रहा है। पांच अक्टूबर को होने जा रहे चुनाव भाजपा-हलोपा, कांग्रेस, आप, जननायक जनता पार्टी – आजाद समाज पार्टी गठबंधन और इनेलो-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन आदि चुनावी मैदान में हैं।

नई दिल्लीSep 10, 2024 / 03:51 pm

Anand Mani Tripathi

हरियाणा विधानसभा चुनाव में दंगल शुरू हो चुका है। किसी सीट पर भाई और बहन मैदान में हैं तो कहीं नए और पुराने प्रत्याशियों के बीच पटखनी का खेल चल रहा है। इस खेल में जिसे राष्ट्रीय दलों ने तरहीज नहीं दी वह अब क्षेत्रीय दलों की बैशाखी के सहारे चुनाव मैदान में खंभ ठोंक रहे हैं। दस साल भाजपा में रहने के बाद टिकट न मिलने पर पार्टी छोड़ने वाले प्रो. छत्रपाल सिंह को आम आदमी पार्टी ने बरवाला से प्रत्याशी बनाने की घोषणा की। वर्ष 1991 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में देवीलाल को हराने वाले प्रो.सिंह ने सोमवार को ही भाजपा छोड़ने की घोषणा की थी।
आप और कांग्रेस में इंडिया गठबंधन के तहत मिलकर चुनाव लड़ने की बात चल रही थी लेकिन वार्ता विफल रहने से सोमवार को आप ने 20 प्रत्याशियों की घोषणा कर स्पष्ट कर दिया कि पार्टी अपने बूते पर चुनाव लड़ेगी। सूत्रों के अनुसार स्थानीय कांग्रेस भी गठबंधन के पक्ष में नहीं थी। इससे पूर्व चौटाला परिवार के आदित्य देवीलाल ने भाजपा से टिकट न मिलने पर इंडियन नेशनल लोकदल का दामन थाम लिया था और इनेलो ने डबवाली से उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया।

भाजपा में खुली भी बागवत

भाजपा प्रत्याशियों की सूची बाहर आते ही बागवत शुरू हो चुकी है। दर्जन भर से ज्यादा सीटों पर बागवत हो गई है। पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर और CM नायब सिंह सैनी ने असंतुष्टों को मनाने की कोशिशें शुरू कर दीं। भाजपा में बगावत के सुर पहली सूची जारी होने से पहले ही फूटने लगे थे जब पूर्व मंत्री रंजीत सिंह चौटाला ने फिर रानियाँ सीट पर दावा ठोंक दिया था और अब वह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।

कांग्रेस में शुरू हुई बगावत

कांग्रेस की भी पहली सूची जारी होने के बाद बगावत की खबरें सामने आईं। दरअसल चुनावों से पहले ही दोनों पार्टियों में दूसरे दलों से जॉइनिंग हुई है और कई सीटों पर उन्हें टिकट देने से टिकट की आस लगाए पार्टियों के पुराने कार्यकर्ता नाराज हो गये हैं।इनमें कुछ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोंक रहे हैं तो कुछ दूसरे दलों का दामन थाम रहे हैं, जिन्हें वैसे ही प्रत्याशियों का तोड़ा है।

जननायक जनता पार्टी ने पलट दिया था इनेलो का तख्ता

इनेलो में चौटाला परिवार में फूट के बाद बनी जननायक जनता पार्टी ने तख्तापलट कर दिया था। इनेलो की हालत यह हो गई कि वह मात्र एक सीट जीत पाई। अभय सिंह चौटाला एकमात्र विधायक बने। जननायक जनता पार्टी ने 15 फीसदी वोट हासिल करते हुए दस सीटों पर जीत दर्ज की। भाजपा के साथ पार्टी सरकार में रही और चुनाव से ठीक पहले बिखर गई। इसके आठ विधायक कांग्रेस या फिर भाजपा का दामन थाम चुके हैं।

भाजपा और कांग्रेस का खेल बिगाड़ रही हैं क्षेत्रीय पार्टियां

हरियाणा में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही माना जा रहा है। इनमें बगावत और ‘एक अनार, सौ बीमार’ यानी बहुकोणीय मुकाबला होने होने के कारण वोट बंटने का फायदा किसे मिलेगा और किसे नुकसान होगा। यह कहा नहीं जा सकता, इसलिये मुकाबला रोचक हो गया है।

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