बॉम्बे के विल्सन कॉलेज से की लॉ की पढ़ाई
23 सितंबर 1903 को एक बिजनेसमैन के घर यूसुफ मेहर अली का जन्म हुआ था। कोलकाता और मुंबई में उनकी पढ़ाई—लिखाई हुई थी। 1920 में उन्होंने दसवीं और 1925 में स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद बॉम्बे के विल्सन कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की। उन दिनों देशभर में अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई जा रही थी। महात्मा गांधी के सामाजिक समानता के दर्शन से प्रभावित होकर उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी आर्थिक समानता के लिए श्रमिक वर्ग और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए गुजारी।
धनुष भेंट किया जिस पर गुदा हुआ था क्विट इंडिया यानी ‘भारत छोड़ो’
जी. गोपालस्वामी ने अपनी किताब गांधी एंड बम्बई में शांति कुमार मोरारजी के हवाले से लिखा है कि गांधी ने बम्बई में अपने सहयोगियों से चर्चा की कि स्वतंत्रता के लिए सबसे बेहतर नारा क्या रहेगा? किसी ने कहा गेट आउट (चले जाओ) लेकिन गांधी का मानना था यह शिष्ट नहीं है। चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने रिट्रीट और विदड्रा के बारे में सुझाव दिया लेकिन गांधी जी को रास नहीं आया। तब यूसुफ मेहर अली ने गांधीजी को एक धनुष भेंट किया जिसपर क्विट इंडिया यानी ‘भारत छोड़ो’ गुदा हुआ था। इसके बाद गांधी ने कहा कि ऐसा ही हो। इसी से अगस्त क्रांति का नामकरण किया गया।
प्रमुख स्वाधीनता संग्राम सेनानियों में से एक
यूसुफ मेहर अली ने 22 साल की उम्र में साल 1925 में यंग इंडिया सोसायटी के नाम से नौजवानों की एक टीम बनाई थी। उस टीम को ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ मुल्क़ की आज़ादी के लिए लड़ाई की ट्रेनिंग दी गई। वह भारत के प्रमुख स्वाधीनता संग्राम सेनानियों में से एक थे। इतिहास में मेहर अली को एक समर्पित स्वतंत्रता सेनानी, एक समाजवादी नेता और श्रमिकों के अधिकारों और सामाजिक न्याय के चौंपियन के रूप में याद किया जाता रहेगा।
आजादी की लड़ाई के दौरान 8 बार गए थे जेल
स्वतत्रता सेनानी और मुंबई के तत्कालीन मेयर यूसुफ मेहर ने 1942 में भारत छोड़ों का नारा दिया था। आजादी की लड़ाई के दौरान 8 बार जेल गए थे। इससे पहले 1928 में साइमन गो बैक का नारा भी दिया था। इसके अलावा नेशनल मिलिशिया और बॉम्बे यूथ लीग के संस्थापक यूसुफ ने किसानों और कामगारों के आंदोलनों में अहम भूमिका निभाई थी।