इसलिए FASTER किया गया लागू
दरअसल बीते वर्ष 8 जुलाई को सर्वोच्च अदालत ने आगरा जेल में बंद 13 कैदियों की रिहाई का आदेश दिया था। 14 से 22 साल से जेल में बंद यह सभी कैदी अपराध के वक्त नाबालिग थे।
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इस जानकारी के आधार पर ही कोर्ट ने उनकी तुरंत रिहाई का आदेश दिया था, लेकिन उनकी रिहाई में 4 दिन से भी अधिक समय लग गया।
इस पर चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्वतः संज्ञान लिया और 16 जुलाई को कोर्ट ने ऐसी सुरक्षित व्यवस्था बनाने का आदेश दिया जिससे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी हुआ आदेश तुरंत हाई कोर्ट, ज़िला कोर्ट और जेल प्रशासन तक पहुंचाया जा सके।
सीजेआई ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
इस मामले पर आदेश देते वक्त सीजेआई ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा, ‘यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि सुप्रीम कोर्ट से किसी की रिहाई का आदेश जारी हो जाए, पर वह तुरंत जेल से बाहर न आ सके।
अधिकारी कोर्ट के लिखित आदेश की प्रमाणित कॉपी की प्रतीक्षा करते रहते हैं। उन्हें इस बात का एहसास नहीं होता कि इस तरह से एक नागरिक की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘सूचना तकनीक के इस युग में हम अब भी आसमान की तरफ देखते हैं कि कोई कबूतर संदेश लेकर आएगा।’
एसे काम करेगा FASTER
शीर्ष अदालत के सभी आदेश अभी भी उसकी वेबसाइट पर अपलोड किए जाते हैं, लेकिन अधिकारी आदेश की प्रमाणित प्रति अपने पास पहुंचे बिना उस पर अमल नहीं करते।
नई व्यवस्था में कोर्ट के आदेश की प्रमाणित कॉपी तुरंत संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाई जाएगी। इस दौरान इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि आदेश सुरक्षित तरीके से पहुंचे।
उसे हैकिंग या किसी और तरीके से नुकसान न पहुंचाया जा सके। इसके लिए विशेष लॉग-इन का इस्तेमाल होगा।
इसके लिए 1887 आईडी बनाई गई हैं। ईमेल के माध्यम से जिसे आदेश की सूचना भेजी जाएगी, वही उसे खोल सकेगा।
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