1. चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली संवैधानिक बेंच ने कहा कि आर्टिकल 370 एक अस्थायी प्रावधान था और उसके हटाने का केंद्र के पास अधिकार है।
2. आर्टिकल 370 को हटाने की प्रक्रिया संवैधानिक तौर पर सही थी। राष्ट्रपति के पास उसे हटाने की शक्ति निहित थी क्योंकि विधानसभा भंग थी। इस फैसले के लिए विधानसभा की सहमति जरूरी नहीं थी।
3. अदालत ने साफ कहा कि आर्टिकल 370 एक अस्थायी प्रावधान ही था। इसे विलय के प्रावधानों को लागू करने के लिए ही लाया गया था।
4. अदालत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की कोई संप्रभुता नहीं थी। राज्य का जब भारत के साथ विलय हुआ तो उसने अपनी संप्रभुता को भी भारत में विलीन कर दिया था।
5. आर्टिकल 370 हटाने को लेकर कोर्ट ने कहा कि हम इसमें कोई संवैधानिक खामी नहीं पाते। इतने सालों के बाद इस फैसले की वैधता पर बात करना मुनासिब नहीं है।
6. अदालत ने उन सवालों का भी जवाब दिया है, जिनमें राष्ट्रपति की अधिसूचना पर फैसले लेने को गलत बताया गया था। कोर्ट ने कहा कि विधानसभा भंग होने पर राज्यपाल के जरिए राष्ट्रपति शासन करता है। ऐसे में वही फैसले लेने का अधिकारी होता है।
7. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करे। इससे पहले सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि उचित समय पर इस बारे में फैसला लिया जाएगा। यही बात होम मिनिस्टर अमित शाह संसद में भी दोहरा चुके हैं।
8. चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि 30 सितंबर, 2024 तक विधानसभा चुनाव करा लिए जाएं।
9. अदालत ने कहा कि अन्य राज्यों की तरह ही जम्मू-कश्मीर की भी कोई संप्रभुता नहीं है। जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने जब विलय का फैसला लिया था तो संप्रभुता को भी विलीन कर दिया था।
10. आर्टिकल 370 को लेकर 5 जजों की बेंच ने कुल तीन फैसले लिखे। इन फैसलों में भले ही अलग-अलग बात कही गई, लेकिन उनका निष्कर्ष एक ही है।
PM मोदी ने फैसले को बतााया ऐतिहासिक
पीएम नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है। नया जम्मू कश्मीर का स्लोगन देते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर आज का सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है और 5 अगस्त 2019 को भारत की संसद द्वारा लिए गए फैसले को संवैधानिक रूप से बरकरार रखा है। यह जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में हमारी बहनों और भाइयों के लिए आशा, प्रगति और एकता की एक शानदार घोषणा है। न्यायालय ने अपने गहन ज्ञान से एकता के मूल सार को मजबूत किया है जिसे हम, भारतीय होने के नाते, बाकी सब से ऊपर मानते हैं।”