अमेठी के बाद रायबरेली भी फंसी
उत्तर प्रदेश में राजनीति का सिक्का बदल चुका है। ऐसे में कांग्रेस कोई भी रिस्क नहीं लेना चाह रही है। अमेठी गवां चुकी कांग्रेस को अपनी एकमात्र सीट रायबरेली भी खतरे में दिखाई दे रही है। ऐसे में इस बार सोनिया गांधी को वहां से चुनाव नहीं लड़ाने की तैयारी है। उत्तरप्रदेश में इंडिया गठबंधन भी बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं दिखाई दे रहा है। इसके साथ मंदिर में प्रभु की प्राण प्रतिष्ठा भी विपक्ष को प्रभावहीन करने का काम करेगी।
गुर्जर का खिलेगा गुल
भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस की रणनीति से उलट काम कर रही है। इस समय भाजपा का पूरा ध्यान स्थानीय है। भाजपा के लिए यहां दो राज्यसभा सीट हैं लेकिन सांसद कौन बनेगा यह दिल्ली से तय होगा। भाजपा सरकार में राजपूत और गुर्जर का प्रतिनिधित्व देने के लिए किसी बड़े गुर्जर चेहरे को राज्यसभा भेज सकती है। इसका सीधा असर उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली सहित कई अन्य राज्यों में देखने को मिल सकता है।