फुल मून या स्नो मून या हंगर मून ये सब एक ही मून के नाम हैं। ये स्नो मून आपको आज रात करीब 10:27 पर नजर आयेगा। पूर्ण चंद्र के समय चांद, धरती और सूरज 180 डिग्री पर एक ही सीधी रेखा में आ जाते हैं। सूरज की किरणें चांद की उस सतह को चमकाती हैं, जो धरती की तरफ होती है।
क्योंकि चांद धरती की कक्षा में 5 डिग्री झुकाव के साथ घूमता है। यह धरती की परछाई से थोड़ा सा ऊपर रहता है। इसलिए वह चमकदार दिखता है, नहीं तो सीधी रेखा में धरती की परछाई में रोशनी नहीं दिखती।
फरवरी में दिखने वाले पूर्ण चंद्र (Full Moon) के कई नाम है। पहला स्नो मून (Snow Moon)। दूसरा स्टॉर्म मून (Storm Moon) क्योंकि इस समय दुनिया के कई इलाकों में भारी बर्फबारी होती है। चांद को इस तरह के नाम 1930 में दिए गए थे।
जब नेटिव अमेरिकन नामों को माएन फार्मर्स अल्मानाक में प्रकाशित किया गया था। इस समय बर्फ और तूफानी मौसम शिकार में दिक्कत पैदा करते थे। इसलिए इसे दो और नामों से बुलाया जाता है। एक है- हंगर मून (Hunger Moon) और दूसरा है फरवरी मून (February Moon)।
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वैसे तो पूर्णिमा हर 29.5 दिनों के बाद आता है, लेकिन फरवरी में होने वाले पूर्णिमा को ‘स्नो मून’ का नाम देते हैं, क्योंकि दुनिया के कई क्षेत्रों में यह अक्सर ऐसे समय में आता है, जब भारी बर्फबारी हो रही होती है। डेली मेल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान चांद की सतह को भरपूर रूप से देखने के लिए अपनी खुली आंखों को कम रोशनी में देखने के लिए तैयार करें और सभी कृत्रिम प्रकाश के स्रोतों को बंद कर दें, तब इसका अद्भुत स्वरूप महसूस कर सकेंगे।
रॉयल ऑब्जर्वेटरी ग्रीनविच के डॉक्टर ग्रेग ब्रॉन ने कहा है, ‘अगर बादल ना हो तो आपको खुद से चांद को देखने में परेशानी नहीं होनी चाहिए।’ लेकिन, यदि आप चांद की कुछ और गहराइयों में जाना चाहते हैं तो उनके मुताबिक ‘यह रात के समय आसमान में आसानी से दिखने वाली सबसे चमकीली वस्तु होगी, जो बिना सहायता के आंखों से ही पूरी तरह से दिखाई देगी हालांकि, दूरबीन या एक छोटा टेलीस्कोप की मदद से आपको इसकी सतह पर कुछ छोटी विशेषताओं को देखने में मदद मिलेगी।’