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Terrorism पर जयशंकर की दो टूक, ‘आतंकवादी नियमों से नहीं चलते इसलिए जवाबी कार्रवाई के लिए देश नियमों से कैसे बंध सकते हैं?’

S. Jaishankar commented on Terrorism: देश मंत्री जयशंकर ने कहा, “उन्हें (आतंकवादियों को) यह महसूस नहीं होना चाहिए कि वे सीमा पार हैं इसलिए कोई उन्हें छू नहीं सकता। आतंकवादी किसी भी नियम से नहीं चलते तो आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए भी कोई नियम नहीं हो सकते।

Apr 13, 2024 / 12:56 pm

स्वतंत्र मिश्र

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External Affairs Minister S Jaishankar: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत सीमा पार से होने वाले किसी भी आतंकवादी कृत्य का जवाब देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चूंकि आतंकवादी किसी नियम को नहीं मानते। वह किसी नियम का पालन नहीं करते हैं तो उनपर लगाम लगाने की कार्रवाई को नियमों में कैसे कोई बांध सकता है? आतंकवादियों को जवाब देने में देश के पास कोई नियम नहीं हो सकता है। पुणे में शुक्रवार को ‘भारत क्यों मायने रखता है: युवाओं के लिए अवसर और वैश्विक परिदृश्य में भागीदारी’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में युवाओं के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने पूछा कि अगर अब इसी तरह का हमला होता है और कोई इस पर प्रतिक्रिया नहीं देता है तो आगे ऐसे हमलों को कैसे रोका जा सकता है? उन्होंने 2008 में 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों को लेकर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकारी स्तर पर बहुत विचार-विमर्श के बाद भी उस समय कुछ भी सार्थक परिणाम नहीं निकला। पाकिस्तान पर हमला करना उस पर हमला न करने से कहीं अधिक था और यह महसूस किया गया था कि इसकी कीमत बहुत ज्यादा चुकानी पड़ेगी।

आतंकवाद से निपटने के लिए विदेश नीति में आया बदलाव

जयशंकर ने यह भी कहा कि 2014 के बाद से देश की विदेश नीति में बदलाव आया है और आतंकवाद से इसी तरह से निपटा जाता है। उनसे जब उन देशों के बारे में पूछा गया जिनके साथ भारत को संबंध बनाए रखना चुनौतीपूर्ण लगता है, तो उसके जवाब में जयशंकर ने कहा कि भारत को यह सवाल करना चाहिए कि क्या उसे कुछ देशों के साथ कोई संबंध बनाए भी रखना चाहिए क्या?

पाकिस्तान बहुत कठिन है, इसकी हम खुद एक वजह हैं: जयशंकर

उन्होंने कहा, “एक हमारा पड़ोसी देश ही है। आइए हम ईमानदार होकर सोचें। एक देश जो बहुत, बहुत कठिन है, वह पाकिस्तान है और इसके लिए हमें सिर्फ आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि ऐसा क्यों है? इसकी एक वजह हम खुद हैं।” उन्होंने कहा कि अगर भारत शुरूआत से ही स्पष्ट होता कि पाकिस्तान आतंकवाद में लिप्त है और भारत को जिसे किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं करना चाहिए तो देश की नीति बहुत अलग होती।

‘आतंकवाद की समस्या 1947 में ही पैदा हो चुकी है’

जयशंकर ने कहा, “2014 में मोदी जी आए। लेकिन यह समस्या (आतंकवाद) 2014 में शुरू नहीं हुई। इसकी शुरुआत मुंबई हमले से नहीं हुई। इस समस्या का जन्म 1947 में हुआ। 1947 में पहले लोग (आक्रांता) कश्मीर आए, उन्होंने कश्मीर पर हमला किया यह आतंकवादी घटना ही थी। वे गांवों और कस्बों को जला रहे थे। ये लोग पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत के आदिवासी थे। हमने सेना भेजी और कश्मीर का एकीकरण हुआ।

उन्होंने कहा, “जब भारतीय सेना कार्रवाई कर रही थी, हम बीच में रुक गए और संयुक्त राष्ट्र में जाकर उल्लेख किया कि हमला आतंकवाद के बजाय आदिवासी आक्रमणकारियों द्वारा किया गया था, इस बात से आतंकवाद को एक वैधता सी मिल गई।” उन्होंने कहा कि 1965 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान ने सबसे पहले घुसपैठियों को तोड़फोड़ के लिए भेजा था।

‘आतंकवाद को लेकर हमें अपने मन में साफ होना होगा’

उन्होंने कहा, “आतंकवाद के बारे में हमें अपने मन में बहुत स्पष्ट होना होगा। किसी भी परिस्थिति में किसी भी पड़ोसी या किसी ऐसे व्यक्ति से आतंकवादी गतिविधि स्वीकार्य नहीं है जो आपको बातचीत की मेज पर बैठने के लिए मजबूर करने के लिए आतंकवाद का इस्तेमाल करता हो। इसे कभी भी स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा, “एक बदलाव आतंकवाद को लेकर है। 26/11 के मुंबई हमले के बाद देश में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जिसने महसूस किया हो कि हमें हमले का जवाब नहीं देना चाहिए था। देश में हर किसी ने इसे महसूस किया।”

जयशंकर ने कहा कि सबने विचार-विमर्श किया, खूब विश्लेषण हुआ और फिर तय हुआ कि पाकिस्तान पर हमला करने की कीमत पाकिस्तान पर हमला न करने से ज्यादा है इसलिए काफी विचार-विमर्श के बाद कोई नतीजा नहीं निकला।”

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