भारत का मुख्य लड़ाकू विमान
सुखोई-30 एमकेआई भारतीय वायु सेना का सबसे प्रमुख लड़ाकू विमान है। चीन हो या पाकिस्तान भारत के इस लड़ाकू विमान का तोड़ किसी के पास नहीं है। फिर चाहे इस विमान के चपलता की बात हो या फिर तेजी की। ताकत का तो अंदाजा लगाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
कोई नहीं कर सकता मुकाबला
रूस निर्मित इस विमान का मुकाबला भारत का कोई पड़ोसी नहीं कर सकता है। चीन ने इसकी कॉपी तो की है लेकिन इस लड़ाकू विमान के आगे उसके कॉपी कही भी नहीं टिकते हैं। सुखोई-30 हवा में सबसे अधिक शक्तिशाली और वर्चस्व वाला लड़ाकू विमान है। दो इंजन, बेहतर राडार और इसके एवियोनिक्स आसमान में इसे सबसे अलग और सबसे प्रभावशाली बनाते हैं।
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दो इंजन देते हैं सुखोई-30 को दोगुना ताकत
सुखोई-30 दो इंजन वाला जेट है। इसमें दो पायलट बैठते हैं। एक विमान को उड़ाता है तो दूसरा इसे मारक बनाता है। इस तरह से यह लड़ाकू विमान 20 गुना भारी पड़ता है। यह हवा में उच्चतम स्तर का लड़ाकू विमान है। सबसे खास बात यह है कि यह एक साथ कई भूमिका निभा सकता है। हवा से हवा में लड़ाई हो या फिर जमीन पर हमला यह दोनों ही बेहतरीन तरीके से कर सकता है। ब्रह्मोस से लैस होने के बाद यह दुश्मन की दुश्मन की सेना के लिए बड़ा खतरा बन गया है।
ब्रह्मोस लेकर उड़ता है सुखोई
सुखोई-30 की आसमान में ताकत, क्षमता और वर्चस्व का अंदाजा सिर्फ इस बात से ही लगाया जा सकता है कि यह दुनिया का एकमात्र लड़ाकू विमान है जो हवा से जमीन में मार गिराने वाले सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को लेकर उड़ान भर सकता है। इस मिसाइल की क्षमता कितनी घातक या तो भारतीय वैज्ञानिक जानते हैं या फिर वो दुश्मन जो इसकी मार झेलेंगे। यह 300 से अधिक किलोमीटर तक मार करती है।
HAL करता है सुखोई-30 का निर्माण
सुखोई-30 का निर्माण हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जाता है। रूस ने इसके निर्माण के लिए भारत को लाइसेंस दे रखा है। सुखोई30 एमकेआई को रूस ने विकसित किया है। इसके हर सिस्टम में रूस का बड़ा योगदान है। इसके साथ ही इसके निर्माण से लेकर इसकी मरम्मत तक में Hindustan Aeronautics Limited के साथ मिलकर बड़ी भूमिका निभाता है।