वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का सीधा असर भारतीय उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है। यूरोप लगभग एक तिहाई गैस के लिए रूस पर निर्भर रहता है। यूरोप को चिंता है कि अगर रूस गैस और तेल की आपूर्ति बंद कर देगा, तो इससे ऊर्जा की कीमतें बढ़ेंगी।
माना जा रहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच यदि जंग की नौबत आई तो पश्चिम देश रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा सकते हैं और रूस यूरोप में गैस की आपूर्ति में कटौती कर सकता है, जिसका सीधा असर तेल की कीमतों पर पडे़गा।
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कुछ विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि जंग के हालात में रूस चीन के साथ तेल और गैस बेचने की बात कर सकता है, जिससे वैश्विक बाजार प्रभावित होगा और भारत में भी तेल की कीमतों पर इसका असर देखा जा सकता है। कहा जा रहा है कि अपने आर्थिक हितों को देखते हुए रूस चीन के साथ अपनी नजदीकी बढ़ा सकता है और भारत के साथ संबंधों की परवाह नहीं भी कर सकता है।
पहले से ही तनाव के कारण पिछले एक महीने में तेल की कीमतें 14 फीसदी तक बढ़ गई हैं। 14 फरवरी तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 94 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई। रूस-यूक्रेन संकट के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत पिछले सात सालों में पहली बार 90 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंची है।
विश्लेषकों का कहना है कि यदि इस विवाद का कोई समाधान नहीं निकलता है तो कच्चे तेल की कीमत 125 डॉलर प्रति बैरल तक भी पहुंच सकती है। रूस के बजट में करीब 40 फीसदी रेवेन्यू अकेले तेल से आता है। आईआईएफएल सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष, शोध अनुज गुप्ता के एक बयान के मुताबिक हम बहुत जल्द कीमतें 100
डालर प्रति बैरल तक जाने की उम्मीद कर रहे हैं।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (कमोडिटीज) तपन पटेल ने अपने एक बयान में कहा ‘रूस के यूक्रेन पर आक्रमण की आशंकाओं के कारण कच्चे तेल की तेज खरीदारी देखी गई। इस तरह का हमला अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिबंधों को बढ़ा सकता है, जिससे रूसी निर्यात बाधित हो सकता है।’