लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने मोदी सरकार पर जातीय जनगणना नहीं कराने का आरोप लगाया। इसके साथ ही कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष समेत कई पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र में दावा किया था कि जैसे बिहार में नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना कराई और उसके नतीजों को सबके सामने रखा। ठीक उसी तरह सरकार में आने के बाद वह पूरे देश में जातीय जनगणना कराएंगे। केरल के पलक्कड़ में तीन दिन तक चली समन्वय बैठक के समापन के बाद आरएसएस ने विपक्ष के जाति जनगणना के लिए अपना समर्थन जताया है, मगर कुछ शर्तें भी रखी हैं।
जाती का इस्तेमाल राजनीति के लिए न हो- RSS सोमवार को केरल के पलक्कड़ में तीन दिन तक चली समन्वय बैठक के समापन के बाद संघ के मुख्य प्रवक्ता सुनील आंबेकर सवालों का जवाब दे रहे थे। इस दौरान जातिगत जनगणना को लेकर सवाल करने पर उन्होंने कहा कि ‘हमारे समाज में जाति संवेदनशील मुद्दा है। यह देश की एकता से भी जुड़ा हुआ सवाल है। इसलिए इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है, न कि चुनाव और राजनीति को ध्यान में रखकर।
जातिगत जनगणना के मुद्दे पर विचार करने की जरुरत संघ के मुख्य प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने कहा कि देश और समाज के विकास के लिए सरकार को डेटा की जरूरत पड़ती है। समाज की कुछ जाति के लोगों के प्रति विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। इन उद्देश्यों के लिए इसे (जाति जनगणना) करवाना चाहिए।’ इसका इस्तेमाल लोक कल्याण के लिए होना चाहिए। इसे पॉलिटिकल टूल बनने से रोकना होगा। बता दें कि जातिगत जनगणना के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार ने पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है। हालांकि बीजेपी ने बिहार में जातिजनगणना के दौरान इसका समर्थन किया लेकिन देश व्यापी जातिजनगणना के मुद्दे पर वह सरकार के साथ ही खड़ी दिखती है। ऐसे में संघ का जातिजगणना को लेकर इस तरह से बयान आना मोदी सरकार को बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है।