![Laxmi Vilas Palace Gujarat](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/07/image_77bda2.png?w=640)
![laxmi vilas palace vadodara](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/07/image_ade3aa.png?w=640)
लक्ष्मी विलास पैलेस में हैं 170 से ज्यादा कमरे
एरिया के मामले में बकिंघम पैलेस (Buckingham Palace) से करीब चार गुना बड़ा है। गायकवाड़ एक समय बड़ौदा के राजा हुआ करते थे। आज भी लोगों के बीच उनका बहुत सम्मान है। फैमिली का नेतृत्व अभी महाराजाधिराज समरजीतसिंह गायकवाड़ (Samarjitsinh Gaekwad) और उनकी पत्नी राधिकाराजे गायकवाड़ (Radhikaraje Gaekwad) कर रहे हैं।![Laxmi Vilas Palace Vadodara Interior](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/07/image_2ad807.png?w=640)
![Radhikaraje Gaekwad age](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/07/image_5c5938.png?w=640)
कौन हैं राधिकाराजे गायकवाड़ (Who is Radhikaraje Gaekwad)
राधिकाराजे गायकवाड़ (Radhikaraje Gaekwad) का जन्म 19 जुलाई 1978 को गुजरात के वांकानेर में हुआ था। उनके पिता, डॉक्टर एमके रणजीतसिंह झाला ने अपना रॉयल टाइटल छोड़कर एक IAS ऑफिसर के रूप में देश की सेवा की। जानकारी के अनुसार लक्ष्मी विलास पैलेस 3,04,92,000 वर्ग फीट में फैला है। आइए जानते हैं लक्ष्मी विलास पैलेस में रहने वाली राधिकाराजे गायकवाड़ के बारे में-![radhikaraje gaekwad family](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/07/image_49ff93.png?w=640)
पढ़ने-लिखने की रहीं शौकीन
राधिकाराजे गायकवाड़ (Radhikaraje Gaekwad) पढ़ने-लिखने का शुरू से ही शौक था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज से इंडियन हिस्ट्री में मास्टर डिग्री हासिल की है। साल 2002 में महाराजा समरजीतसिंह गायकवाड़ से शादी से पहले वह एक पत्रकार के रूप में काम करती थीं। 20 साल की उम्र में उन्होंने एक पत्रकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। अपने परिवार में वह पहली ऐसी महिला थीं, जिन्होंने पहली बार नौकरी की। नौकरी के दौरान ही उन्होंने अपनी मास्टर डिग्री पूरी की थी। जानकारी के अनुसार गायकवाड़ की कुल संपत्ति करीब 20000 करोड़ रुपये है।
![laxmi vilas palace vadodara photos](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/07/laxmi-vilas-palace-vadodara-photos.jpg?w=640)
दिल्ली की DTC बसों में भी घूमी
मीडिया रिपोर्ट के आधार पर राधिकाराजे गायकवाड़ ने बताया कि मैं दिल्ली की DTC बसों में सफर करती थीं। मेरा पालन-पोषण भी किसी आम नागरिक की तरह ही हुआ था। मेरे दादा, वांकानेर के महाराजा, 1938 में पैदा हुए थे, लेकिन वह उस समय पले-बढ़े जब भारत एक लोकतांत्रिक देश बन चुका था। उन्होंने भविष्य को देखा और बच्चों से कहा कि उन्हें अपना भाग्य खुद बनाना होगा। नए तरीकों से भारत को योगदान देना होगा। वह चाहते थे कि मेरे पिता अपने विशेषाधिकारों और पेशे का इस्तेमाल नए भारत के लिए करें। इसलिए हमारा जीवन मजदूर परिवार जैसा ही था, मैं इसके लिए बहुत आभारी हूं।