जेल अधिकारी पर लगाए ये गंभीर आरोप
याचिका में आरोप लगाया गया कि जेल अधिकारी कैदी के साथ अमानवीय व्यवहार कर रहे हैं। उससे अधिकारियों के घरेलू काम भी करवाए जा रहे हैं। पीठ ने कहा, दोषियों को सिर्फ कानून के अनुसार सजा मिलनी चाहिए। कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति पर शक्ति का अनुचित प्रयोग नहीं कर सकता। जब जेलों में ऐसा मामला हो तो शक्तियों के दुरुपयोग को सामान्य तरीके से नहीं लिया जाना चाहिए। इससे गंभीरता से निपटा जाना चाहिए। शक्ति का दुरुपयोग अराजकता पैदा करने के साथ आपराधिक न्याय प्रणाली के लोकाचार को कमजोर करेगा। डीजीपी को औचक निरीक्षण के निर्देश
कोर्ट ने तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक को जेलों का औचक निरीक्षण करने का निर्देश दिया, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि कैदियों को जेल अधिकारियों के घरेलू काम पर नहीं रखा गया है। अगर शिकायत मिलती है तो जांच कर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि जेल अधिकारियों को अपनी शक्तियों का प्रयोग सावधानी और सतर्कता से करना चाहिए।
हिल गई अंतरात्मा
कोर्ट ने वेल्लोर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को जेल का दौरा करने, याचिकाकर्ता के बेटे से मिलने और जांच करने का निर्देश दिया था। पीठ ने कहा कि मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट ने हमारी अंतरात्मा को हिला दिया। पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ कि तमिलनाडु जेल नियम 1983 का उल्लंघन करते हुए कैदियों को जेल उप महानिरीक्षक के घर में काम पर रखा गया।