मंगलवार शाम चार बजे होने वाले इस सम्मेलन में संकटग्रस्त अफगानिस्तान में मानवीय मदद, लोगों को बुनियादी सुविधाएं एवं आजीविका उपलब्ध कराने, आतंकवाद से लड़ाई, सुरक्षा, लोगों की आवाजाही, मानवाधिकार एवं विस्थापन सहित कई मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि जी-20 की अध्यक्षता करने वाले देश इटली के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 अक्टूबर को वर्चुअल माध्यम से जी-20 के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
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प्रधानमंत्री मोदी इससे पहले अफगानिस्तान पर एससीओ-सीएसटीओ सम्मेलन में शामिल हो चुके हैं। वहीं, न्यूयॉर्क में यूएनजीए की बैठक से अलग विदेश मंत्री एस जयशंकर अफगानिस्तान पर जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा ले चुके हैं। जी-20 दनिया के 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, जी -20 एक ऐसा महत्वपूर्ण मंच है जो संयुक्त राष्ट्र और उसकी एजेंसियों सहित बहुपक्षीय संगठनों तथा वैश्विक एवं क्षेत्रीय सहयोगियों के बीच अंतरराष्ट्रीय आम सहमति और समन्वित दृष्टिकोण बनाने में मदद करता है।
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अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर 15 अगस्त को तालिबान का कब्जा हो गया। इसके बाद वहां तालिबान सरकार की घोषणा हुई है। इस सरकार को दुनिया के अभी किसी देश ने मान्यता नहीं दी है। अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक बाहर से मिलने वाली आर्थिक मदद पर निर्भर करती है। अफगानिस्तान में चूंकि आर्थिक सहायता पहुंचनी बंद हो गई है, ऐसे में इस देश में मानवीय संकट पैदा हो गया है और जरूरत की चीजों एवं सुविधाओं की किल्लत हो गई है। अफगानिस्तान को संकट के दौर से निकालने के लिए जी-20 की इस बैठक में कोई रूपरेखा बनाई जा सकती है।