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Paper Leak में फंसे PM मोदी के ‘संकट मोचक’, ये चार बड़ी चुनौतियां आई सामने

Dharmendra Pradhan: धर्मेंद्र प्रधान देश में सबसे ज्यादा समय तक पेट्रोलियम मंत्री रहे हैं। उन्हें 2014 में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) से 2017 में कैबिनेट मंत्री बनने और फिर 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी यही मंत्रालय मिला। पढ़िए नवनीत मिश्र की विशेष रिपोर्ट…

नई दिल्लीJul 08, 2024 / 09:11 am

Shaitan Prajapat

Dharmendra Pradhan: ऐसे चुनिंदा चेहरे हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कार्यकाल में मंत्री बनने का मौका मिला है। आमतौर पर सुर्खियों से दूर रहने वाले प्रधान की छवि एक गंभीर नेता की है और उनकी भूमिका चुनावी रणनीतिकार और संसद सत्र के दौरान फ्लोर मैनेजर की भी रही है। मोदी सरकार के पिछले दो कार्यकाल में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, कौशल विकास, इस्पात और शिक्षा जैसे मंत्रालयों की कमान संभाल चुके धर्मेंद्र प्रधान का पाला जिस तरह से तीसरी बार सरकार बनते ही नीट सहित दूसरी परीक्षाओं के पेपर लीक से पड़ा है, उससे माना जा रहा है कि इस बार उन्हें शिक्षा मंत्री के रूप में कांटो का ताज मिला है।
ओडिशा के तालचेर में 26 जून 1969 को जन्मे धर्मेंद्र प्रधान के पिता देवेंद्र प्रधान भी वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके है। कॉलेज के दिनों में एबीवीपी से जुड़े और बाद में तालचेर कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष बने। एबीवीपी के सचिव के रूप में 1983 में राजनीतिक करियर शुरू किया। भुवनेश्वर स्थित उत्कल विश्वविद्यालय से मानव विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त धर्मेंद्र प्रधान भाजपा में अहम पदों पर रहने के बाद 2004 में देवगढ़ लोकसभा सीट से सांसद बने। वे भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे और बिहार और मध्य प्रदेश से दो-दो बार राज्यसभा के सदस्य भी चुने गए।

देश के ‘उज्ज्वला मैन’

धर्मेंद्र प्रधान देश में सबसे ज्यादा समय तक पेट्रोलियम मंत्री रहे हैं। उन्हें 2014 में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) से 2017 में कैबिनेट मंत्री बनने और फिर 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी यही मंत्रालय मिला। आठ करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी सिलिंडर वितरण वाली ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ की सफलता का श्रेय धर्मेंद्र प्रधान को जाता है जिससे उन्हें देश में ‘उज्ज्वला मैन’ की भी पहचान दिलाई है।

नई नीति से निवेश और रोजगार बढ़ा

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री रहते हुए प्रधान एक नई लाइसेंसिंग नीति (हेल्प) लाए, जो सभी प्रकार के हाइड्रोकार्बन के अन्वेषण और उत्पादन के लिए एक समान लाइसेंसिंग और मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता के माध्यम से घरेलू तेल और गैस उत्पादन को बढ़ावा देती है। इस नीति से इस सेक्टर में पर्याप्त निवेश के साथ-साथ बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हुए। वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा और दिल्ली में हाइड्रोजन-मिश्रित सीएनजी बसों के संचालन में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई।

कौशल विकास मंत्री के रूप में भी छोड़ी छाप

धर्मेंद्र प्रधान कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री भी रहे हैं। इस दौरान उन्होंने युवाओं में कौशल विकास के लिए कई पहलें कीं। उनके कार्यकाल में देश में आईटीआई की कुल संख्या में 40 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ।

चुनौतियां

प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक को रोकना
नई शिक्षा नीति को पूरी तरह से लागू करना
शिक्षा और शोध में गुणवत्ता बढ़ाना
नए खुल रहे शैक्षिक संस्थानों का रेगुलेशन

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