यह कटौती पूरे साल आपकी आय में से की जाती है। अगर आपने जरूरत से ज्यादा टैक्स चुका दिया हो तो आयकर रिटर्न (आइटीआर) फाइल कर टीडीएस रिफंड का दावा कर सकते हैं। यदि आयकर विभाग टीडीएस रिफंड में देरी करता है तो उसे 6त्न सालाना दर से टैक्सपेयर को ब्याज देना पड़ता है। आइटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है।
ऐसे करें टीडीएस रिफंड का दावा
- टीडीएस रिफंड की अर्जी ऑनलाइन डालने के लिए आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
- अगर आपने पहले से रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है तो खुद को पोर्टल पर रजिस्टर कराएं और लॉग-इन आईडी व पासवर्ड डालकर पोर्टल पर लॉग-इन करें।
- अपनी श्रेणी के हिसाब से आयकर रिटर्न फॉर्म चुनें और रिटर्न दाखिल करें।
- फॉर्म में जरूरी ब्योरा भरें और उसे जमा कर दें। वहां से मिली पावती का ई-सत्यापन डिजिटल दस्तखत, नेट बैंकिंग खाते या आधार के जरिए आने वाले वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) की मदद से करें।
वेरिफिकेशन कैसे करें?
- आयकर विभाग की आधिकारिक ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जाएं।
- अपना यूजर आईडी, पासवर्ड और कैप्चा कोड डालकर लॉग-इन करें। उसके बाद ‘ई-फाइल’ टैब पर जाएं।
- वहां नीचे की ओर मेन्यू खुलेगा, जिसमें से ‘इनकम टैक्स रिटर्न’ और फिर ‘व्यू फाइल्ड रिटन्र्स’ चुनें।
- ‘व्यू फाइल्ड रिटन्र्स’ में आपको अपने अभी तक दाखिल रिटर्न की सूची दिखेगी।
- जिस असेसमेंट वर्ष की स्थिति आपको जांचनी है, उस वर्ष के आगे लिखे ‘सी डीटेल्स’ पर क्लिक करें।
- रिटर्न प्रोसेस होने के बाद यदि रिफंड बनता है तो ‘रिफंड स्टेटस’ का लिंक दिखेगा। लिंक पर क्लिक करने पर रिफंड की जानकारी विस्तार से दिखेगी।
एफडी से मिले ब्याज पर ऐसे बचाएं टैक्स
एफडी में मिले ब्याज पर टैक्स कटने यानी टीडीएस कटौती के बाद वास्तविक रिटर्न कम हो जाता है। आयकर अधिनियम के अनुसार, एफडी पर टीडीएस कटौती की छूट सीमा 40,000 रुपए है। वहीं वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह 50,000 रुपए है। यानी अगर मिला ब्याज इससे कम है तो टीडीएस कटता है।
यह है तरीका
- यदि कुल आय टैक्स योग्य सीमा से कम है तो बैंक में फॉर्म 15जी (यदि आप 60 वर्ष से कम हैं) या फॉर्म 15एच (यदि आप 60 वर्ष या ज्यादा हैं) जमा कर सकते हैं। ऐसा आप वित्तीय वर्ष की शुरुआत में कर सकते हैं। इससे एफडी पर मिले ब्याज पर टीडीएस कटौती से बच सकते हैं।
- यदि आपके पास कई एफडी हैं और एक वित्तीय वर्ष में एक ही शाखा से ब्याज आय 10,000 रुपए से ज्यादा है, तो आपको टीडीएस कटौती से बचने के लिए फॉर्म 15जी या 15एच दाखिल करना होगा। यदि व्यक्ति फॉर्म 15जी के माध्यम से शून्य कर बकाया का प्रमाण नहीं देता है, तो बैंक ब्याज आय पर 10त्न टीडीएस काट लेगा।
- यदि फॉर्म 15जी या 15एच जमा नहीं करते हैं, तब भी आइटीआर दाखिल कर टीडीएस वापस पा सकते हैं।