‘ऊफा’ को कहा जाता है ‘ब्लैक होल’
रूसी पनडुब्बी ‘ऊफा’ को ‘ब्लैक होल’ के नाम से भी जाना जाता है। इससे पहले रूसी दूतावास ने घोषणा की थी कि रूसी नौसेना के प्रशांत बेड़े के जहाजों की टुकड़ी में डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी ‘ऊफा’ और रेस्क्यू जहाज ‘अलताऊ’ भी शामिल है। यह पहली बार नहीं है, जब कोई रूसी जहाज कोच्चि पहुंचा है। इससे पहले अगस्त में रूसी प्रशांत बेड़े में शामिल मिसाइल क्रूजर वैराग और फ्रिगेट मार्शल शापोशनिकोव समेत कई रूसी युद्धपोत अपनी लंबी दूरी के मिशन के दौरान कोच्चि आए थे। अरब सागर के तट पर स्थित केरल का बंदरगाह शहर कोच्चि रूसी नौसेना के जहाजों के लिए एक नियमित जगह बन गया है। ‘ऊफा’ की यात्रा प्रशांत बेड़े के व्यापक दीर्घकालिक मिशन का हिस्सा है, जो 22 जनवरी 2024 को शुरू हुआ था। इस मिशन के दौरान पैसिफिक फ्लीट क्रू ने युद्ध ट्रेनिंग सत्र आयोजित किए हैं।
भारत और रूस के बीच बढ़ेगा सहयोग
भारत के अलावा इस बेड़े ने श्रीलंका, ईरान, कतर और इरिट्रिया के बंदरगाहों का दौरा किया है। इससे पहले जुलाई में भारतीय नौसेना ने सेंट पीटर्सबर्ग में रूस के नौसेना दिवस समारोह में भी हिस्सा लिया था। भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े के फ्रंटलाइन फ्रिगेट आईएनएस तबर ने 328वें नौसेना दिवस समुद्री परेड में हिस्सा लिया था। रूसी नौसेना ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के दौरान भारतीय युद्धपोत का गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच ये आदान-प्रदान तथा यात्राएं भारत और रूस के बीच बढ़ते सहयोग को दर्शाती हैं। दोनों के बीच लंबे समय से रक्षा और समुद्री सुरक्षा में संबंध मजबूत रहे हैं। जैसे-जैसे ये नौसैनिक बातचीत जारी रहती है, वे दोनों देशों के बीच स्थायी साझेदारी के प्रमाण के रूप में काम करती है।