स्कूलों में देशभक्ति पाठ्यक्रम शुरू करने का मकसद बच्चों को देश के प्रति उनके कर्तव्य का अहसास कराया जाना। उन्हें ये बताना कि हर बच्चे की देश के प्रति क्या जिम्मेदारी है।
दिल्ली में फिलहाल कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्र ही फिजिकल कक्षाओं में भाग ले रहे हैं। ऐसे में अभी के लिए, स्कूल आ रहे कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को देशभक्ति पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। एक बार स्कूल फिर से खुलने के बाद बाकी छात्रों को भी पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा।
दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के मुताबिक नर्सरी से कक्षा 8 तक के छात्रों के लिए हर दिन देशभक्ति का 1 पीरियड होगा। वहीं कक्षा 9 से 12वीं के छात्रों के लिए सप्ताह दो कक्षाएं देशभक्ति की लगेंगी।
1. पाठ्यक्रम रोट लर्निंग पर आधारित नहीं होगा और कोई परीक्षा नहीं होगी।
2. छात्रों को स्वतंत्रता और राष्ट्र के गौरव की कहानियां सुनाई जाएंगी। राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारियों और कर्तव्यों का एहसास कराया जाएगा।
3. छात्र अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने और देश की प्रगति में योगदान देने के लिए तैयार रहेंगे।
4. देशभक्ति पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क का उद्देश्य संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान की गहरी भावना विकसित करना और मूल्यों एवं कार्यों के बीच की खाई को पाटना है।
5. दैनिक जीवन में समानता और बंधुत्व जैसे मूल्यों को जोड़ने, इन मूल्यों की गहरी समझ बनाने और उन्हें बच्चों के व्यवहार का हिस्सा बनाने का प्रयास।
-41 सलाहकार शिक्षकों, 9 एनजीओ पार्टनर और एक्स्पर्ट्स की मदद से पायलट तैयार हुआ
– 20 स्कूलों में विभिन्न कक्षाओं के 250 से अधिक छात्रों के साथ पायलट रन का संचालन दिल्ली सरकार के स्कूली शिक्षकों के एक कोर ग्रुप द्वारा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर किया गया था।
– 3 देशभक्ति नोडल शिक्षक अधिकारी हर स्कूल में होंगे नियुक्त
– ये नोडल अधिकारी करिकुलम के सुचारू रूप से चलाना सुनिश्चित करेंगे
– नर्सरी से कक्षा 5, कक्षा 6 से 8 और कक्षा 9 से 12 तक होंगे तीन नोडल अधिकारी
– राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ( NCERT ) दिल्ली की ओर से 29 सितंबर से 5 अक्टूबर के बीच सभी नोडल शिक्षकों के लिए एक ओरिएंटेशन प्रोग्राम भी आयोजित किया जाएगा