तेलंगाना में लोकसभा चुनाव में क्या परिदृश्य नजर आता है?
जनता ने आत्मसम्मान के लिए सत्ता परिवर्तन किया। कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनाई लेकिन भाजपा की सीटें बढ़ीं हैं।
तेलंगाना में बदलाव की जनभावना को भाजपा क्यों नहीं भुना पाई?
कांग्रेस ने प्रचार के दौरान ऐसी हवा बना दी कि भाजपा व बीआरएस में अंतर नहीं और यदि लोगों ने भाजपा को वोट दिया तो बीआरएस फिर से सत्ता में आ जाएगी।
तेलंगाना में भाजपा क्या किसी दल से गठबंधन करेगी?
तेलंगाना में हम अकेले चुनाव लड़ेंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में हमें 14 प्रतिशत वोट मिले थे। लोकसभा में चार ही सांसद थे पर हमें २० प्रतिशत वोट मिले। इस बार लोकसभा चुनाव में 35 प्रतिशत वोटों के साथ कम से कम 10 से 12 सीटें जीतेंगे। ये चुनाव आने वाले समय में भाजपा के सत्ता में आने का रोडमैप तैयार करने वाले साबित होंगे।
विपक्ष राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट हो रहा है। क्या फर्क पड़ेगा?
लोकसभा चुनाव में जनता को केवल नरेन्द्र मोदी से उम्मीद है। विपक्ष नेतृत्वविहीन नजर आ रहा है। विपक्ष का कोई एजेंडा भी नहीं दिख रहा। इंडिया गठबंधन के नेता आपस में ही उलझ रहे हैं।
जनता भाजपा को वोट क्यों दे?
जनता को लगता है कि पीएम नरेन्द्र मोदी जो कहते हैं वह करते हैं। राजमार्गों का विकास हो, रेल-हवाई सेवाएं हों या फिर उच्च शिक्षण संस्थान और अस्पताल खोलने हों, सब जगह काम हुआ है।
दक्षिण भारत में भाजपा लोगों की पसंद क्यों नहीं बन पा रही?
दक्षिण में कुछ क्षेत्रीय दल क्षेत्रीयता की भावना भडक़ाते हैं। तमिलनाडु में द्रविड़ संस्कृति है, केरल में साम्यवाद है। तमाम विराधाभासों के बावजूद दक्षिण से भाजपा के ३० सांसद और पुडुचेरी में सरकार है।
केरल में राहुल गांधी को समर्थन क्यों मिलता है?
राहुल को वामपंथी दलों का ही समर्थन मिलता है। भाजपा ने तुष्टिकरण को ना कहा, जिससे वहां की सामाजिक संस्थाएं और क्रिश्चियन कम्यूनिटी भी अब साथ आ रही हैं।
लोकसभा चुनाव में दक्षिण में भाजपा को क्या उम्मीदें हैं?
इस बार हम केरल के साथ तमिलनाडु में भी खाता खोलेंगे। तेलंगाना में सीटों की संख्या बढ़ाएंगे। वहीं आंध्रप्रदेश में टीडीपी से मिलकर विधानसभा चुनावों में भी सरकार एनडीए की बनेगी।
राम मंदिर का दक्षिण की राजनीति पर असर पड़ेगा?
जरूर पड़ेगा। हर तरफ मोदी जी की प्रशंसा हो रही है।
देश में ऐसा माना जा रहा है कि मोदी हिन्दुत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?
देश की 80 प्रतिशत आबादी हिन्दुओं की है। हिन्दुत्व जीवन जीने का एक तरीका है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम मुसलमानों और ईसाइयों के साथ भेदभाव करते हैं।