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किसानों की बल्ले-बल्ले, भारी बारीश से धान और मक्के की फसल को मिलेगा बड़ा फायदा

बिहार में इस साल अब तक कई जिलों में हुई अच्छी बारिश (Heavy Rain) ने किसानों (Kisan) में उम्मीदें जगाई हैं। किसान इस साल धान और मक्के की उपज को लेकर आशान्वित हैं कि इस साल अब मौसम ने दगा नहीं दिया तो तो उन्हें अच्छा उत्पादन मिल सकेगा।

पटनाAug 28, 2024 / 10:28 am

Akash Sharma

Bihar: बिहार में इस साल अब तक कई जिलों में हुई अच्छी बारिश (Heavy Rain) ने किसानों (Kisan) में उम्मीदें जगाई हैं। किसान इस साल धान और मक्के की उपज को लेकर आशान्वित हैं कि इस साल अब मौसम ने दगा नहीं दिया तो तो उन्हें अच्छा उत्पादन मिल सकेगा। इस साल अब तक प्रदेश के कई जिलों में धान की रोपनी और मक्के की बुआई एक सौ प्रतिशत से अधिक हुई है। बताया जाता है कि शुरू में बारिश नहीं होने के कारण किसान मायूस थे। प्रदेश के मगध प्रमंडल सहित कई इलाकों में शुरुआती दौर में बारिश नहीं होने के कारण धान की रोपनी देर से हुई है।

किसानों के लिए वरदान साबित हुई बारिश

मौसम की बेरुखी को देखते हुए सरकार भी जुलाई के अंतिम सप्ताह में जगी और डीजल अनुदान देने का फैसला लेकर किसानों के लक्ष्य को पूरा करने का एक तरह से संकल्प लिया। सूखे को लेकर चिंतित राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अल्पवृष्टि को देखते सिंचाई के लिए डीजल अनुदान देने के प्रावधान को स्वीकृति देते हुए इस मद में 150 करोड़ रुपये की स्वीकृति दे दी। इधर, बारिश भी छिटपुट होती रही जो किसानों के लिए वरदान साबित हुई। बताया जाता है कि प्रदेश में कटिहार, सहरसा, किशनगंज, गोपलगंज, सुपौल, पूर्णिया, लखीसराय, सीतामढ़ी, शिवहर सहित 16 जिले ऐसे हैं जहां लक्ष्य से अधिक धान की रोपनी हो चुकी है। बिहार के 38 में से 22 जिले ऐसे हैं जहां 99 प्रतिशत से अधिक धान की रोपनी हो चुकी है। इस साल प्रदेश में 36.56 लाख हेक्टेयर में धान की रोपनी करने का लक्ष्य रखा गया है।

99 % धान की हुई रोपनी

जानकारी दी गई है कि प्रदेश में करीब 99 प्रतिशत धान की रोपनी हो चुकी है। इधर, बारिश का प्रभाव मक्के की खेती पर भी देखने को मिला है। प्रदेश में 2.96 लाख हेक्टेयर में मक्का बुआई का लक्ष्य है। बताया जाता है कि प्रदेश में अब तक 11 जिलों में लक्ष्य से अधिक मक्के की बुआई हो चुकी है। ऐसे में मक्के के किसान भी उत्साहित हैं। इस बीच, हालांकि कई इलाकों में खासकर दियारा क्षेत्रों में आई बाढ़ के कारण फसलों को नुकसान पहुंचा है। प्रदेश की कई नदियों के जलस्तर में इस साल उतार-चढ़ाव देखा गया है।

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