केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, “इस समझौते के तहत संयुक्त अरब अमीरात में कैद भारतीय नागरिकों को शेष सजा बिताने के लिए भारत भेजा जा सकता है। वहीं भारत में बंद यूएई के नागरिकों को यूएई स्थानांतरित किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि इस समझौते के तहत एक सजायाफ्ता व्यक्ति का उसके अपने देश में स्थानांतरण विभिन्न औपचारिकताओं के पूरा होने पर निर्भर करता है।”
औपचारिकताओं कि जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “इसमें कैदी की स्थानांतरित होने की इच्छा, स्थानांतरित करने और प्राप्त करने वाले देश की सहमति, अनुरोध को संसाधित करने के लिए आवश्यक पूर्ण दस्तावेज की उपलब्धता, उपयुक्त एजेंसियों से मंजूरी आदि आती है।” इससे पहले 2011 में भी भारत और यूएई के बीच इस तरह का समझौता हुआ था। दोनों देशों ने सजायाफ्ता व्यक्तियों के सथानांतरण के समझौते पर 23 नवंबर 2011 को हस्ताक्षर किए गए थे।
वहीं, इस बार के समझौते के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सजायाफ्ता व्यक्तियों के हस्तातंरण की प्रक्रिया के लिए आवश्यक दस्तावेजों के अनुरोध को यूएई की ओर भेज दिया गया है। बता दें, 8 भारतीय नौसेना के अधिकारियों को दोहा में हिरासत में लिया गया था, जिसके बाद विदेशी जेलों में बंद भारतीय नागरिकों का मुद्दा सामने आया था।
1 दिसंबर को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि भारत लगातार इस केस पर नजर बनाए है। भारतीय दूतावास इस केस को लगातार फॉलो कर रहा है। हिरासत में लिए गए भारतीय अपने परिवार के संपर्क में हैं। हम हर संभव मदद मुहैया कराने की कोशिश कर रहे हैं।