बता दें कि देश में 70 फीसदी बिजली उत्पादन कोयले के जरिए ही होता है। ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, इसके पीछे बड़ी वजह कोयले के उत्पादन और उसके आयात में आ रही दिक्कतें हैं।
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मोदी सरकार की पहल, घायलों को अस्पताल पहुंचाइए, नकद इनाम पाइए देश में कुल 135 थर्मल पावर प्लांट्स में से 72 के पास कोयले का तीन दिन से भी कम का स्टॉक बचा हुआ है। जबकि 50 पावर प्लांट ऐसे है जहां कोयले का चार से 10 दिन का स्टॉक बाकी है। जबकि 13 प्लांट्स ही ऐसे भी हैं जहां 10 दिन से ज्यादा का कोयला बचा है।
इस वजह से हो रही दिक्कत
ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक इस संकट के बीच पीछे बड़ी वजह कोयले के उत्पादन और उसके आयात में आ रही दिक्कतें हैं। इसके अलावा मानसून के चलते कोयला उत्पादन में कमी आई है।
अधिकारियों का कहना है कि भारी बारिश के कारण खदानों में पानी भर जाने की वजह से कोयले की निकासी नहीं हो पा रही है। जिन बिजलीघरों में कोयले का स्टॉक कम रह गया है वहां उत्पादन घटा दिया गया है ताकि इकाइयां पूरी तरह बंद करने की नौबत न आए।
कोयले की कीमतें बढ़ी हैं और ट्रांसपोर्टेशन में काफी रुकावटें आई हैं। ये ऐसी समस्याएं हैं जिसकी वजह से आने वाले समय में देश के अंदर बिजली संकट पैदा हो सकता है और लोग पावर कट की चपेट में आ सकते हैं।
कोरोना काल भी है कारण
बिजली संकट के पीछे एक वजह कोरोना काल भी बताई जा रही है। इसमें दफ्तर के काम से लेकर अन्य काम घर से ही निपटाए जा रहे थे और लोगों ने इस दौरान जमकर बिजली का इस्तेमाल किया।
वहीं हर घर बिजली देने का लक्ष्य, जिससे पहले के मुकाबले बिजली की मांग काफी बढ़ी हुई है। ऊर्जा मंत्रालय के एक आंकड़े के मुताबिक 2019 में अगस्त-सितंबर महीने में बिजली की कुल खपत 10 हजार 660 करोड़ यूनिट प्रति महीना थी। यह आंकड़ा 2021 में बढ़कर 12 हजार 420 करोड़ यूनिट प्रति महीने तक पहुंच गया है।
अधिकारियों का कहना है कि चूंकि अभी मांग बहुत ज्यादा नहीं है इसलिए स्थिति नियंत्रण में है। लेकिन, इसी सप्ताह नवरात्रि के साथ शुरू हो रहे त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने की संभावना है। ऐसे में मुश्किल बढ़ सकती है।
यह भी पढ़ेँः Lakhimpur Kheri Violence: लखीमपुर मामले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, कहा- ऐसी घटनाओं की कोई जिम्मेदारी नहीं लेता इन देशों से होता है कोयले का आयातभारत के पास 300 अरब टन का कोयला भंडार है, लेकिन फिर भी बड़ी मात्रा में कोयले का आयात इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमरीका जैसे देशों से करता है। इंडोनेशिया की ही बात करें तो मार्च 2021 में कोयला की कीमत 60 डॉलर प्रति टन थी जो अब बढ़कर 200 डॉलर प्रति टन हो गई है। ऐसे में कोयले का आयात कम हुआ है।
ऐसे में थर्मल पावर प्लांट्स की बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए कोयला नहीं पहुंच पा रहा है। अब हालात यह हैं कि चार दिन बाद देश के कई इलाकों में अंधेरा हो सकता है।