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किसानों को बोलने का हक, सरकार को उनकी बात सुननी ही होगी, किसान आंदोलन के 200 दिन पूरे होने पर बोली विनेश फोगाट 

Vinesh Phogat: शनिवार को किसान आंदोलन के 200 दिन पूरे होने पर पहलवान विनेश फोगाट ने शंभू बॉर्डर पहुंचकर किसान आंदोलन का समर्थन किया। 

नई दिल्लीAug 31, 2024 / 04:53 pm

Prashant Tiwari

शनिवार को किसान आंदोलन के 200 दिन पूरे होने पर पहलवान विनेश फोगाट ने शंभू बॉर्डर पहुंचकर किसान आंदोलन का समर्थन किया। किसान एमएसपी खरीद गारंटी कानून सहित कई मांगों के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। किसानों ने विनेश फोगाट का सम्मान भी किया। पेरिस ओलंपिक में तय मानक से 100 ग्राम अधिक वजन होने की वजह से विनेश फोगाट को अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इससे पहले, विनेश महिलाओं की 50 किग्रा फ्रीस्टाइल प्रतियोगिता में तीन बाउट जीतने के बाद फाइनल इवेंट में पहुंच गई थीं।
 On completion of 200 days of farmers protest wrestler Vinesh Phogat reached Shambhu border
किसानों को बोलने का हक विनेश

भारत में आने के बाद विनेश का स्वागत एक गोल्ड मेडलिस्ट की भांति ही किया गया था। अब विनेश किसानों से मिलने के लिए पहुंची हैं। इस मौके पर विनेश फोगाट ने अपनी बात रखते हुए कहा, “हम ऐसे देश के वासी हैं जहां कोई भी धरना राजनीतिक रंग नहीं लेता है। हर चीज को जाति या धर्म से जोड़ना सही नहीं है। हमें किसानों की समस्याओं को सुनना चाहिए और उन्हें बैठकर बोलने का हक देना चाहिए। किसान कोई भी नाजायज मांग नहीं कर रहे हैं।”
 On completion of 200 days of farmers protest wrestler Vinesh Phogat reached Shambhu border
मैं परमात्मा से प्रार्थना करती हूं कि…

विनेश ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा, “मैं ऐसे परिवार से आती हूं जहां लोगों के पास बहुत ज्यादा जमीन नहीं है। मुझे मेरी मां ने पाल-पोसकर बड़ा किया है, यह मैं जानती हूं।” विनेश ने सरकार से गुजारिश की कि वह किसानों की बात सुने और उन्हें उनका हक दिलाए। विनेश ने कहा, “मैं परमात्मा से प्रार्थना करती हूं कि वह किसानों को हौसला और हिम्मत दें, ताकि वे अपने हक के लिए लड़ते रहें।”
किसानों ने विनेश को पहनाया प्रतीकात्मक गोल्ड मेडल

बता दें कि, पेरिस ओलंपिक में अयोग्य घोषित होने के बाद विनेश ने ओलंपिक कमेटी के इस फैसले के विरोध में अपील भी की थी। हालांकि उनके पक्ष में फैसला नहीं आ सका था और उनको सिल्वर मेडल नहीं मिल सका था। हालांकि देश में विनेश को विजेता की तरह ही लिया जा रहा है। कुछ दिन पहले ही ऐसे ही एक मंच पर किसानों ने उन्हें प्रतीकात्मक स्वर्ण पदक पहनाकर सम्मानित किया था।

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