ओडिशा ट्रिपल ट्रेन दुर्घटना
हादसा उस समय हुआ जब पश्चिम बंगाल के शालीमार और तमिलनाडु के चेन्नई के बीच चलने वाली 12841 कोरोमंडल एक्सप्रेस के 10 से 12 डिब्बे बालासोर में शाम करीब सात बजे पटरी से उतर गए और विपरीत पटरी पर गिर गए। हिंदुस्तान टाइम्स (एचटी) की रिपोर्ट के मुताबिक, हादसे से कुछ मिनट पहले कोरोमंडल एक्सप्रेस गलत ट्रैक पर चली गई थी। रिपोर्ट में रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि चेन्नई जाने वाली ट्रेन ने बहानगर बाजार स्टेशन से ठीक आगे मेन लाइन की जगह लूप लाइन ले ली।
127 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी कोरोमंडल
एचटी रिपोर्ट में आगे पाया गया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस, जो लगभग 127 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी, लूप लाइन पर खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई और फिर मुख्य लाइन पर पटरी से उतर गई। सीएनएन के अनुसार, रेलवे ने कहा कि थोड़ी देर बाद, बैंगलोर के यशवंतपुर से पश्चिम बंगाल के हावड़ा तक चलने वाली हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस पटरी से उतरी कारों से टकरा गई, जिससे उसके तीन से चार डिब्बे पटरी से उतर गए।
2009 कोरोमंडल एक्सप्रेस का पटरी से उतरना
आपको बता दें कि 13 फरवरी, 2009 को चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस के 13-14 डिब्बे ओडिशा के जाजपुर जिले के पास पटरी बदलते समय लगभग 7.50 बजे पटरी से उतर गए। ट्रेन हावड़ा स्टेशन से शुक्रवार दोपहर को रवाना हुई थी और अगले दिन चेन्नई पहुंचनी थी। तत्कालीन पुलिस महानिदेशक मनमोहन प्रहराज ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, ट्रेन का इंजन एक ट्रैक पर चला गया और पलट गया, जबकि दूसरी बोगियां पटरी से उतर गईं और सभी दिशाओं में बिखर गईं।
16 यात्रियों की हुई थी मौत
पीटीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, बोगियों के पहिये घटनास्थल से 200 से 300 मीटर दूर सभी दिशाओं में पड़े हैं। जाजपुर के अधिकारियों ने उस समय टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) को बताया कि इंजन के सबसे करीब के डिब्बे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, जिनमें लगेज-कम-स्लीपर कोच, दो अनारक्षित कोच और 11 द्वितीय श्रेणी के स्लीपर बोगियां शामिल हैं। इस हादसे में 16 यात्रियों की मौत हो गई थी जबकि 161 लोग घायल बताए गए थे।