लोकसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही ओडिशा विधानसभा चुनाव के नतीजों का भी ऐलान हो गया। देश के इस पूर्वी राज्य में 24 साल से सत्ता पर काबिज बीजू जनता दल का किला भारतीय जनता पार्टी ने ढहा दिया। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि बीजेपी ने बीजद से सत्ता तो छिन ली लेकिन वहां पर मुख्यमंत्री किसे बनाएगी। कई विश्लेषकों के मुताबिक, ओडिशा के सीएम पद की रेस में मोदी कैबिनेट के ही सिनियर मंत्री सबसे आगे हैं। आइए जानते हैं पार्टी इस सूबे में अपने किस नेता पर दांव लगा सकती है…
बीजू सरकार में रह चुके हैं मंत्री मोदी सरकार 2.0 में केंद्रीय शिक्षा व कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री रहे धर्मेंद्र प्रधान ओडिशा के सीएम पद के रेस में सबसे आगे हैं। प्रधान का जन्म 26 जून 1969 को ओडिशा के तालचेर में हुआ था। उन्होंने संबलपुर विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री हासिल की है। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन 1997 में शुरू किया जब वे ओडिशा विधानसभा के लिए चुने गए और 1997 से 2000 तक बीजू जनता दल (बीजेडी) सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया।
4 बार सांसद 10 साल से मंत्री 2004 में वे भाजपा के टिकट पर पुरी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए। वे 2009, 2014 और 2019 में फिर से लोकसभा के लिए चुने गए हैं। भाजपा सरकार में प्रधान कई मंत्री पदों पर रह चुके हैं। 2014 से 2019 तक वे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रहे। 2019 में उन्हें इस्पात मंत्री बनाया गया। 2021 में उन्हें शिक्षा मंत्री और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री बनाया गया।
BJP टॉप लीडरशीप की पहली पसंद ओडिशा की राजनीति पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि प्रधान ने 2019 की तरह ही इस बार भी भाजपा की चुनावी रणनीति के प्रबंधन में मुख्य भूमिका निभाई। प्रधान के अहम कार्यों में घोषणापत्र तैयार करने के अलावा चुनाव से पहले के रोजमर्रा के कामों की देखरेख करना भी शामिल है। प्रधान को नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली सरकार की कड़ी और लगातार आलोचना करने और उड़िया अस्मिता की मजबूत वकालत करने के लिए जाना जाता है। ओडिशा में भाजपा के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक प्रधान के पास मुख्यमंत्री बनने की गंभीर संभावना है।