दरअसल, सांसद सुमलता अंबरीश और डीके सुरेश ने जब सरकार से पूछा कि “क्या सरकार के पास देश में बिटकॉइन को मुद्रा के रूप में मान्यता देने का कोई प्रस्ताव है?” इसके जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “नहीं, सर।”
शीतकालीन सत्र में थोल से सांसद थिरुमावलवन ने वित्त मंत्रालय से पूछा कि क्या सरकार को भारत में क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार को लेकर जानकारी है? और क्या भारत में क्रिप्टोकरेंसी को व्यापार के लिए कानूनी रूप से अनुमति है? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार ने भारत में कानूनी रूप से क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज को कानूनी रूप से अनुमति दी है?
इसके जवाब में वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री (MoS) पंकज चौधरी ने कहा, “सरकार बिटकॉइन लेने-देन पर डाटा एकत्र नहीं करती है। भारत में क्रिप्टोकरेंसी अनियंत्रित हैं। आरबीआई ने भी 31 मई, 2021 को एक सर्कुलर जारी किया था जिसमें कहा गया था कि बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थाएं, अपने ग्राहक को (केवाईसी), एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (एएमएल), कॉम्बेटिंग ऑफ फाइनेंस (सीएफटी) और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के मानकों को नियंत्रित करने वाले नियमों के अनुरूप क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन की प्रक्रियाओं को जारी रख सकती है।”
मालूम हो कि सरकार की प्रतिक्रिया तब देखने को मिल रही है जब संसद में ‘द क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ पेश करने को लेकर चर्चा है। संसद में सरकार जो बिल लाने वाली है उस बिल की सूची में दसवें नंबर पर साफ साफ लिखा है कि भविष्य में आरबीआई द्वारा जारी की जाने वाली डिजिटल करेंसी के अलावा अन्य सभी क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। इस बिल का नाम ‘द क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’, है। हालांकि, पब्लिक और प्राइवेट डिजिटल करेन्सी को लेकर कोई परिभाषा स्पष्ट नहीं की गई है।
बता दें कि बिटकॉइन को 2008 में लॉन्च किया गया था। क्रिप्टोकरेन्सी एक प्रकार का डिजिटल पैसा है जो कंप्यूटर लोगरिथम पर बना है। इसका कोई रेगुलेटर नहीं है और न ही कोई इसे नियंत्रित करता है। ये सब ऑटोमेटिक होता है, परंतु स्पेशल कंप्यूटर और सोफ्टवेयर के जरिए होता है। ये करेन्सी कोई भी यूजर डिजिटल रूप से P2P नेटवर्क के माध्यम से दूसरे यूजर को ट्रांसफर कर सकता है। इसका रिकॉर्ड ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में दर्ज रहेगा।