जामिया मस्जिद की प्रबंध संस्था अंजुमन औकाफ ने शुक्रवार की नमाज को अस्वीकार करने और मीरवाइज को नजरबंद करने के लिए प्रशासन की निंदा की, जिससे उन्हें अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने से रोक दिया गया। एक बयान में कहा गया कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।
सरकार झूूठे दावें कर रही
अंजुमन औकाफ ने कहा कि एक तरफ सरकार रोज यह दावा करती है कि कश्मीर में हालात सामान्य हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि इन दावों के विपरीत 7वें शुक्रवार को भी जामिया मस्जिद को जबरन बंद कराया गया और कश्मीर के शीर्ष धार्मिक नेता मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद रखा गया। नमाज के महान स्थल जामिया मस्जिद के सदियों पुराने मिनबार और मिहराब फिर से चुप रहे, जामिया मस्जिद और मीरवाइज के प्रति प्रशासन का ऐसा शत्रुतापूर्ण व्यवहार समझ से परे है।
अंजुमन औकाफ ने प्रशासन से पूछा कि अगर मीरवाइज को नजरबंदी से रिहा कर दिया गया है तो जामिया मस्जिद को निशाना क्यों बनाया जा रहा है और मीरवाइज साहब को उनकी धार्मिक जिम्मेदारियां निभाने की इजाजत क्यों नहीं दी जा रही है।
पुलिस ने बंद कर दिए मस्जिद के दरवाजे
भले ही यहां जुमे के दिन सामूहिक नमाज की इजाजत नहीं दी गई, लेकिन मस्जिद बंद करने की वजह पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सूत्रों ने कहा कि गाजा पट्टी में इजरायल की कार्रवाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की आशंका थी।